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राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी गठन को मिली मंजूरी
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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दी जानकारी
नई दिल्ली/दि.१९– केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने समान पात्रता परीक्षा (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) कराने के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस फैसले से देश के युवाओं को नौकरी मिलने में फायदा होगा. पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया. बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री जावड़ेकर ने बताया युवाओं को फिलहाल नौकरी के लिये कई अलग अलग परीक्षाएं देनी पड़ती हैं. ऐसी परीक्षाओं के लिए अभी लगभग 20 भर्ती एजेंसियां हैं और परीक्षा देने के लिए अभ्यर्थियों को दूसरे स्थानों पर भी जाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में परेशानियां दूर करने की मांग काफी समय से की जा रही थी. इसे देखते हुए कैबिनेट ने साझा पात्रता परीक्षा लेने के लिये ‘राष्ट्रीय भर्ती एजेंसीÓ के गठन का निर्णय किया गया है. इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे ऐतिहासिक सुधारों में से एक है. यह भर्ती, चयन, नौकरी में आसानी और विशेष रूप से समाज के कुछ वर्गों के लिए जीवन यापन में आसानी लाएगा. उन्होंने कहा कि कॉमन इंट्रेंस टेस्ट के लिए मेरिट लिस्ट तीन साल के लिए वैलिड होगा. इस दौरान कोई भी कैंडिडेट अलग-अलग क्षेत्रों में जॉब के लिए अप्लाई कर सकेंगे.
एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार में लगभग 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां हैं. हालांकि, हम अब तक सिर्फ तीन एजेंसी की परीक्षा को कॉमन बना रहे हैं. लेकिन समय के साथ हम सभी भर्ती एजेंसियों के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट दे सकेंगे. उन्होंने कहा कि ग्रुप बी और ग्रुप सी के 1.25 लाख से अधिक पदों के लिए हर साल ढाई से तीन करोड़ लोग परीक्षा देते हैं. ये परीक्षाएं आईपीबीएस, एएसी और आरआरबी के जरिए होती है. अब ये अलग-अलग परीक्षाएं एक ही होंगी. परीक्षा आयोजित करने के लिए हर जिले में कम से कम एक परीक्षा केंद्र स्थापित किया जाएगा.
गन्ने की कीमतें भी बढ़ीं
सरकार ने देश के एक करोड़ गन्ना किसानों के लिए भी बड़ा फैसला किया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गन्ने का उचित एवं लाभकारी दाम 10 रुपये बढ़ाकर 285 रुपए प्रति क्विंटल करने को मंजूरी दे दी. यह दाम गन्ने के अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले नए विपणन सत्र के लिए तय किया गया है. यह निर्णय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश पर किया गया है. सीएसीपी सरकार को प्रमुख कृषि उत्पादों के दाम को लेकर सलाह देने वाली संस्था है. एफआरपी गन्ने का न्यूनतम मूल्य होता है जिसे चीनी मिलों को गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान करना होता है.