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तेजस्वी की पार्टी के डीएनए में अराजकता है

नड्डा ने आरजेडी पर बोला हमला

नई दिल्ली/दि.२४– जेपी नड्डा बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान होने में अब चंद दिन बचे हैं. पहले चरण के तहत 28 अक्टूबर को बिहार की 71 सीटों पर वोटिंग होगी. मतदान से पहले सभी पार्टियों ने अपने प्रचार में तेजी ला दी है. नेताओं के बीच जुबानी जंग भी काफी तेज हो चुकी है. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आजतक को एक बड़ा इंटरव्यू दिया.
इंटरव्यू के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जहां एनडीए की जीत के प्रति आश्वस्त नजर आए तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों खासकर आरजेडी पर जमकर हमला बोला. बिहार चुनाव पर बात करते हुए नड्डा ने कहा, बिहार की जनता स्थायित्व और विकास चाहती है. और यह नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में और यहां पर नीतीश जी के नेतृत्व में ही हो सकता है. लोग नीतीश जी को सपोर्ट करना चाहते हैं. मुझे एंटी इनकमबेंसी नहीं दिखती है. हां लोगों में आशाएं हैं और उन्हें अगर कुछ कमी लगती भी है तो उसे पूरा करने का भरोसा भी नीतीश जी पर ही है. जैसे मोदी दुनिया और देश में सबसे भरोसेमंद नेता हैं. उसी तरह से नीतीश जी ही बिहार में सबसे भरोसेमंद नेता हैं. उनका काम बताता है कि उन्होंने डिलिवर किया है. हम सब एक-दूसरे के पूरक हैं.
तेजस्वी पर बात करते हुए नड्डा ने कहा, तेजस्वी को सुनने के लिए भले ही लोग आ रहे हैं, लेकिन लोग जानते हैं कि उनकी पार्टी का डीएनए क्या है. लोगों को पता है कि उनकी पार्टी का डीएनए अराजकता का है. मैं राजनीति को बारीकी से देखता हूं. मैं बताता हूं कि जब तक राजनीति में आप अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते हैं आप आगे नहीं बढ़ते हैं. आरजेडी आज भी अपनी गलतियों को अपना स्ट्रॉन्ग पॉइंट मानती है. उनको कहीं भी इसका अहसास नहीं है कि उन्होंने गलती की है. लालू जी ने जो काम किए हैं, उनका उन्हें अहसास नहीं है.
तेजस्वी पर करारा हमला बोलते हुए नड्डा ने कहा, तेजस्वी अभी विपक्ष के नेता रहे. 2019 के बजट सेशन में उनकी हाजिरी देख लीजिए, कोरोना के समय में देख लीजिए, बाढ़ के समय में देख लीजिए. वह किसी को नहीं मिले. नीतीश जी हमेशा यहीं थे. सारे प्रशासन ने अच्छा काम किया है. उसकी वजह से ही इतना कंट्रोल हुआ है.
लालू पर हमला बोलते हुए नड्डा ने कहा, लालू जी के आने के बाद शिक्षा में बहुत गिरावट आई. सिस्टम खराब हो गया, प्रोफेसर की नियुक्तियों में भाई भतीजावाद आ गया. पहले यहां से 15-15 आईएसएस-आईपीएस निकलते थे. आप इंडो-अमेरिकन रिलेशनशिप का हू इज हू की एक पुस्तिका में 20 से 25 बायोडाटा आपको पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के मिलेंगे. जेपी आंदोलन के बाद लालू जी के राज में चरवाहा विश्वविद्यालय बना और बाद में वही चारा घोटाले तक पहुंच गया.
लालू पर हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा, एजुकेशन पर इंपोर्टेंस समाप्त हो गई. लालू जी ने कभी इसको महत्व नहीं दिया. उन्होंने इसमें भी राजनीति की. हमारे दौर में शिक्षा से कभी समझौता नहीं हुआ. यहां का सिस्टम जब ध्वस्त हो गया तो लोग यहां से दिल्ली ग्रेजुएशन या यूपीएससी की तैयारी के लिए जाते थे. अब 12वीं के लिए भी जाते हैं. हमने शिक्षा पर पिछले तीन साल में 1000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. सिस्टम को वापिस लाने के लिए, लेकिन इसे बनने में समय लगता है पर बिगडऩे में नहीं. लालू जी के समय में शिक्षा को हीन दृष्टि से देखा जाता था. प्रोफेसर को सैलरी और पेंशन नहीं मिलती थी. नियुक्तियां रुक गईं.

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