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शैक्षणिक संस्था में जातिभेद यह गंभीर समस्या

उपाय योजना संबंध में भूमिका रखने के लिए हाईकोर्ट का युजीसी को निर्देश

नई दिल्ली/ दि. 7- शैक्षणिक संस्था में जाति भेदभाव यह अत्यंत गंभीर समस्या होने का निरीक्षण सर्वोच्च न्यायालय ने गुरूवार को किया. इस प्रकार के भेदभाव का निर्मूलन करने के लिए कौन से कदम उठाए इस संबंध में प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करने के निर्देश न्यायालय ने विद्यापीठ अनुदान आयोग (युजीसी) कोे दिए.
जातिभेद से परेशान होेकर आत्महत्या किए जानेवाले रोहित वेमुला और पायल तडवी के परिवार ने सर्वोच्च न्यायालय में दर्ज की जानेवाली याचिका पर न्या. ए. एस बोपण्णा और न्या.एम.एम. सुंद्रेश की खंडपीठ के सामने गुरूवार को सुनवाई हुई.
याचिकाकर्ताओं ने उपस्थित किए मुद्दे गंभीर है. उच्च शैक्षणिक संस्था में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जमाती के विद्यार्थियों को भेदभाव रहित, मुक्त वातावरण उपलब्ध कर देने के लिए कौन से कदम उठाए है और कौन से कदम उठाने का प्रस्ताव है. इसकी जानकारी दे. ऐसे निर्देश सर्वोच्च न्यायालय ने युजीसी को दिए. इस मामले में युजीसी को ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है. वे विद्यार्थी और पालको के हित की बात है. इस प्रकार की घटना भविष्य में न हो इसके लिए कदम उठाना चाहिए. ऐसा न्यायालय ने कहा.
हैदराबाद केंद्रीय विद्यापीठ में पढनेवाले रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या की थी तथा मुंबई की टीएन टोपीवाला राष्ट्रीय वैद्यकीय महाविद्यालय में पढनेवाली पायल तडवी ने 22 मई 2019 को अपनी जीवनलीला समाप्त की थी. ये दोनों आत्महत्या के बाद शैक्षणिक संस्था में जातिभेद संबंध में देशस्तर पर चर्चा हुई थी.

* 2004 से 20 घटना
देश में 2004 से उच्च शिक्षा संस्था में 20 से अधिक पिछडेवर्गीय विद्यार्थियों ने आत्महत्या की. इस मामले की जांच के लिए नियुक्त समिति ने अनुसूचित जाति-जमाति के विद्यार्थियों से जातिभेद किए जाने का दर्ज किया. इस ओर याचिकाकर्ता का ध्यान लगा है.

 

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