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इस साल त्रयोदशी व चतुर्दशी एक ही दिन आने पर तुलसी विवाह केवल तीन दिन

* बारस से पौर्णिमा तक तुलसी विवाह मनाने की प्रथा
अमरावती/दि.13– इस साल गुरूवार को त्रयोदशी और चतुर्दशी एक ही दिन है. इसी दिन वैकुंठ चतुर्थी भी है. एक तिथि कम होने पर तथा सूर्योदय के पश्चात 9 बजकर 43 मिनिट पर त्रयोदशी समाप्त होगी. जिसकी वजह से तुलसी विवाह के लिए परंपरा के अनुसार 13 से 15 नवंबर के दौरान ही तुलसी विवाह होगा. ऐसी जानकारी पं. अशोक जोशी (परतवाडा) द्बारा दी गई है.

प. अशोक जोशी ने आगे बताया कि एकादशी के दिन उपवास रहता है. इसीलिए भगवान को नैवेद्य नहीं चलता. इसी वजह से एकादशी को तुलसी विवाह नहीं किया जाता. तुलसी विवाह द्बादशी से अर्थात बारस से शुरू होता है. आषाढी एकादशी को देव सो जाते है और कार्तिक एकादशी को देव नींद से जाग जाते है. इसीलिए कार्तिक एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है. इसी दिन चातुर्मास भी समााप्त होता है. इस कालावधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. इसी दिन भगवान विष्णु के सालीग्राम रूप के साथ तुलसी विवाह संपन्न हुआ था. ऐसी जानकारी पं. जोशी ने दी.

तुलसी विवाह के पश्चात शुभ कार्यो की शुरूआत होती है और विवाह शुरू हो जाते है.् जिन लोगों के घरों में विवाह समारोह होनवाला है. वे तुलसी विवाह का आतुरता के साथ इंतजार करते है. विवाह की तारीख, समय, मंगल कार्यालय, सगाई आदि पहले ही ठहर चुके होते है. केवल तुलसी विवाह की प्रतिक्षा रहती है. तुलसी विवाह के पश्चात शादियों का सिलसिला शुरू हो जाता है. वैसे तो परंपरा के अनुसार 5 दिनों तक तुलसी विवाह की परंपरा है. इस साल केवल तीन दिन ही तुलसी विवाह मनाया जायेगा. ऐसी जानकारी पं. अशोक जोशी द्बारा दी गई.

* नवंबर से मार्च तक 42 विवाह मुहूर्त
तुलसी विवाह के पश्चात 17 नवंबर से विवाह के मुहूर्त है. नवंबर से मार्च तक कुल 42 मुहूर्त है. इसी कालावधि में विवाह समारोह संपन्न होंगे. नवंबर माह में 17, 22, 23, 25, 26 व 27, दिसंबर माह में 3,5, 6, 7, 11, 12, 14, 15, 20, 23, 24, 26 तथा जनवरी माह में 16, 17, 19, 21, 22, 26 वही फरवरी माह में 3, 4, 7, 13, 16, 17, 20, 21, 22, 23, 25 और मार्च माह में 1,2,3, 6, 7, 12 व 25 तारीख को शुभ विवाह के मुहूर्त है.

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
* तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर 2024 मंगलवार शाम 05 बजकर 29 मिनट से शाम 07 बजकर 53 मिनट तक है.

* तुलसी विवाह कैसे किया जाता है
सबसे पहले एक तुलसीजी का पौधा आंगन या पूजा घर के बीचों बीच रखें. तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं. माता तुलसी को सभी सुहाग श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें और लाल चुनरी चढ़ाएं. गमले में शालिग्राम भगवान विराजित करें. इस दिन भगवान शालिग्राम पर चावल नहीं चढ़ाए जाते हैं, उन्हें तिल अर्पित करें. भगवान शालिग्राम व माता तुलसी को दूध में भीगी हल्दी लगाएं. इसके बाद फल- मेवा- दूध व दूध से बने हुए व्यंजन इत्यादि भोग सामग्री अर्पित करें, और भगवान की आरती करें. तुलसी जी की परिक्रमा कर. प्रसाद वितरित करें.

* तुलसी विवाह का महत्व
मान्यता है कि तुलसी विवाह के दिन विधि-विधान से भगवान शालिग्राम व माता तुलसी की पूजा करने से जीवन में खुशहाली व सुख-समृद्धि का आगमन होता है. और भगवान श्री हरि विष्णु और माता तुलसी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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