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धर्मार्थ के नाम पर नफाखोरी कर छूट लेनेवालों पर लगेगा अंकुश

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

दरें अधिक रहने पर प्राप्ती कर में नहीं दी जायेगी छूट
नई दिल्ली दि.21- धर्मार्थ सेवा करनेवाली संस्थाओं की सेवाएं देने की दरें यदि वाजिब से अधिक है, तो ऐसी संस्थाओं को प्राप्ती कर में छूट दिये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया है. देश के मुख्य न्यायमूर्ति उदय ललीत तथा न्या. रविंद्र भट व न्या. पी. एस. नरसिम्हा की खंडपीठ द्वारा यह आदेश जारी करते हुए कहा गया कि, कई बार कुछ निजी संस्थाओं द्वारा धर्मार्थ सेवा के नाम पर काम किया जाता है. जिसके लिए कुछ वाजीब दरें भी ली जाती है. लेकिन कई निजी संस्थाएं व गृहनिर्माण संस्थाएं वाजिब की बजाय अधिक सेवा दरें वसुल करती है. ऐसे में इस तरह की संस्थाओं को प्राप्तीकर में छूट देने की कोई जरूरत नहीं है. खंडपीठ के मुताबिक धर्मार्थ संस्थाओें द्वारा पैसा कमाने को नहीं, बल्कि जनहित के कामों को पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसी बात के लिए उन्हें प्राप्तीकर में छूट दी जाती है. ऐसे में यदि वे अपने मूल उद्देशों से भटककर पैसा कमाना शुरू करते है, तो उन्हें प्राप्तीकर में छूट देने की कोई जरूरत नहीं है.

* बीसीसीआय से संलग्न संस्थाओें की जांच होगी
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआय से संलग्न रहनेवाले राज्य क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड व अन्य क्रिकेट संगठनों को भी मुलभूत सुविधाओं का विकास करने के नाम पर छूट व सहूलियत दी जाती है. लेकिन इन सभी क्रिकेट संस्थाओं को क्रिकेट स्पर्धाओें के टीवी प्रसारण अधिकार तथा क्रिकेट मैच के टिकट की बिक्री से अच्छी-खासी आय होती है. इस आशय का युक्तिवाद प्राप्तीकर लवाद द्वारा किया गया है. जिसे ध्यान में रखते हुए खंडपीठ में इन सभी संस्थाओें की प्राप्तीकर विभाग द्वारा जांच करवाये जाने की बात कही.

* सेवारत अधिकारियों के लिए 20 फीसद कोटा कायम
सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के पदव्युत्तर मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु कार्यरत अधिकारियों को 20 फीसद आरक्षण देने के संदर्भ में महाराष्ट्र सरकार द्वारा लिये गये निर्णय को कायम रखा है.
– न्या. डी. वाय. चंद्रचूड व न्या. हिमा कोहली ने मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया. महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2022-23 से वैद्यकीय महाविद्यालयों में पदव्युत्तर वैद्यकीय तथा पदविका प्रवेश हेतु सेवारत उम्मीदवारों के लिए 20 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखने का निर्णय लिया था.

 

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