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धार्मिक कार्यक्रमों को अनुमति नहीं देने का निर्णय विचारपूर्वक

राज्य सरकार ने सुप्रिम कोर्ट में दिया स्पष्टीकरण

नई दिल्ली./दि.१९  – कोरोना महामारी के बढते प्रकोप को देखते हुए महाराष्ट्र में किसी भी धार्मिक कार्यक्रमों को अनुमति नहीं दी गई है. विशेषत: नांदेड जिले में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्बारा के पारंपारिक दशहरा महोत्सव के उपलक्ष्य में जुलूस निकालना व्यवहारिक दृष्टि से उचित नहीं है. इसलिए इस जुलूस को अनुमति नहीं दी गई है. इस संबंध में राज्य सरकार ने रविवार को सुप्रीम कोर्अ में अपना स्पष्टीकरण दिया है. धार्मिक कार्यक्रमों को अनुमति नहीं देने का निर्णय विचारपूर्वक ही लिया गया है. बता दें कि, नांदेड सिख गुरुद्बारा संच खंड श्री हुजुर अबचल नगर साहीब बोर्ड की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई की गई. लंबे अर्सो से दशहरे के उपलक्ष्य में सिख बंधूओं द्बारा जुलूस निकाला जाता है. लेकिन इस बार जुलूस निकालने की अनुमति देने की मांग याचिका के जरिए की गई थी. न्यायालय में पेश की गई याचिका पर न्यायालय की ओर से राज्य सरकार से जवाब मांगा गया. राज्य सरकार की ओर से दाखिल किये गये हलफनामें में बताया गया कि, महाराष्ट्र में सभी धार्मिक कार्यक्रमों और समारोह पर रोक लगा दी गई है. इन कार्यक्रमों से कोरोना का संक्रमण बढने का खतरा अधिक है. किसी कार्यक्रम में बडी संख्या में लोग इकठ्ठा होने पर वहां पर कोरोना प्रतिबंधात्मक नियमों को अमल में लाना संभव नहीं है. इन कार्यक्रमों को अनुमति देना यानि कोरोना को न्यौता देना साबित हो सकता है. धार्मिक कार्यक्रमों को अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया गया है वह उचित है और सोचसमझकर यह निर्णय लिया गया है. इसलिए न्यायालय में घटनात्मक अधिकारियों का उपयोग कर न्यायाधिकार क्षेत्रों का उपयोग कर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए. यहा बता दें कि, महाराष्ट्र में लगभग १६ लाख लोगों को कोरोना का संक्रमण हुआ है. इनमें से ४१ हजार ५०२ लोगों की मृत्यु हो चुकी है. अकेले नांदेड जिले में १८ हजार १६७ कोरोना संक्रमित मरीज है और इस जिले में ४७८ लोगों की मौत हो चुकी है.

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