नई दिल्ली/दि.१९– कोरोना महामारी के चलते घोषित किए गए लॉकडाउन ने कई सकारात्मक बदलाव मानवी जीवन में लाए है. यह लॉकडाउन पर्यावरण के साथ ही मनुष्य के लिए भी लाभदायक साबित हुआ है. पूरे देश में लॉकडाउन के जारी रहने से ं सड़क हादसों में काफी कमी दर्ज की गई है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 मार्च से 31 मई 2020 के बीच सड़क हादसों में जबरदस्त गिरावट देखी गयी है. इसी अवधि में जहां वर्ष 2019 में महाराष्ट्र में 2655 मौत सड़क हादसों में हुई थीं, वहीं इस वर्ष घटकर मात्र 1032 रही. राजस्थान में 2019 में इस दौरान 1706 लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई थी, जो इस वर्ष मात्र 535 रही। इसी तरह गुजरात में बीते वर्ष 1404 लोगों की जान सड़क हादसों में जान गई थी, जबकि इस वर्ष केवल 504 मौतें रिकॉर्ड की गई हैं. बिहार में 1535 लोगों ने 2019 में सड़क हादसों में जान गंवाई थी, जो इस साल घटकर 637 रही. तेलंगाना में बीते वर्ष जहां 1257 लोग सड़क हादसों में मारे गए थे, 2020 में ये आंकड़ा मात्र 657 मौत का रहा. यह वह राज्य हैं जो बीते वर्ष 24 मार्च से 31 मार्च 2019 के दौरान सड़क हादसों में टॉप-5 में शामिल थे. लॉकडाउन में सड़क हादसों में कहीं 50 फीसद तक की गिरावट दर्ज की गई है.
दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष करीब 13.5 लाख लोगों की मौत केवल सड़क हादसों में होती है. इनमें से करीब 1.5 लाख लोग अकेले भारत में सड़क हादसों की भेंट चढ़ जाते हैं. भारत में सड़क हादसों की कई वजहें हैं। सड़कों की खराब हालत भी प्रमुख वजह है. सड़कों पर गड्ढ़े ही प्रति वर्ष हजारों लोगों की जान ले लेते हैं. लॉकडाउन के दौरान 24 मार्च से 31 मई 2020 के बीच सड़क हादसों में होने वाली मौत में जहां सबसे ज्यादा कमी आई है, उसमें सबसे ऊपर महाराष्ट्र है. महाराष्ट्र में इस दौरान वर्ष 2019 के मुकाबले, 2020 में करीब 1632 लोगों की कम जान गई है. इसी तरह दूसरे नंबर पर मौजूद राजस्थान में इस वर्ष 1171, गुजरात में 900, बिहार में 898 और तेलंगाना में 600 लोगों की कम जान गई. महाराष्ट्र में पिछले वर्ष की तुलना में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या में करीब 61 फीसदी, राजस्थान में करीब 68.4 फीसदी, गुजरात में 64.1 फीसदी, बिहार में 58.5 फीसदी और तेलंगाना में 48.1 फीसदी की कमी आई है. सड़क हादसों में होने वाली मौतों पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जता चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा था कि कि भात में जितने लोग सीमा पर या आतंकी हमले में नहीं मरते, उससे ज्यादा लोग सडक पर गड्ढों की वजह से मारे जाते हैं. पिछले एक दशक में ही भारत में लगभग 14 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए हैं. वहीं इस बार लॉकडाउन की ही वजह से सही लेकिन सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या काफी कम रही है.