नई दिल्ली/दि.८-केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को निधन हो गया. उन्होंने 74 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. इस बात की जानकारी उनके बेटे व लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा, पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं.
बता दें कि रामविलास पासवान लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने राजनीति में एक लंबा समय बिताया है. रामविलास पासवान वीपी सिंह, एचडी देवेगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी इन सभी प्रधानमंत्रियों के ‘कैबिनेट’ में अपनी जगह बनाने वाले शायद एकमात्र व्यक्ति थे.
राजनीति की नब्ज पकडऩे वाले रामविलास पासवान पहली बार1969 में एक आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में बिहार विधानसभा पहुंचे थे. 1974 में राज नारायण और जेपी के प्रबल अनुयायी के रूप में लोकदल के महासचिव बने थे. वे व्यक्तिगत रूप से राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के करीबी रहे हैं.
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लगभग पांच दशक तक बिहार और देश की राजनीति में छाये रहे
1946 में बिहार के खगडिय़ा में जन्मे रामविलास पासवान ने एक छोटे से इलाके से निकलकर दिल्ली की सत्ता तक का सफर अपने संघर्ष के बूते तय किया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. लगभग पांच दशक तक वो बिहार और देश की राजनीति में छाये रहे.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने लालू प्रसाद यादव ने रामविलास पासवान को ‘मौसम वैज्ञानिक’ का नाम दिया था. रामविलास पासवान हवा के रुख के साथ राजनीति के अपने फैसले बदलने में माहिर थे. इसमें वो कामयाब भी रहे. इसी का नतीजा रहा कि उन्होंने छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया.
‘ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’ इस कहावत को रामविलास पासवान ने चरितार्थ किया. वह बेहत सरल और मृदुभाषी थे. बिहार के हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से वह कई बार चुनाव जीते, लेकिन दो बार उन्होंने सबसे अधिक वोट से जीतने का रिकॉर्ड बनाया.