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रोगप्रतिकार शक्ति बढ़ाएगी वैदिक थाली

५००० साल पुरानी पद्धति का हो रहा इस्तेमाल

नई दिल्ली/दि.८-कोरोना  संक्रमण के आंकड़े तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना पर काबू पाने की कोशिशें लगातार जारी है. दिल्ली में जैसे-जैसे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई है, बाजार से लेकर रेस्टोरेंट में खाना-पीना सब धीरे धीरे खुल चुका है. दिल्ली के एक रेस्टोरेंट की ओर से कोरोना से लडऩे में मददगार ऐसी थाली ही ईजाद कर दी है? जिसमें रोगप्रतिकार शक्ति  बढ़ानेवाले आयुर्वेदिक सामग्री से भरपूर व्यंजन स्वादिष्ट समाहित किए गए हैं और यह थाली सेहतमंद भी है. दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में मौजूद ardor2.1 नाम के रेस्टोरेंट ने संकट की घड़ी को अवसर में बदलने की कोशिश की है. रेस्टोरेंट प्रबंधन ने दावा है कि इम्युनिटी बूस्टर जायकों से भरपूर थाली लोगों की कोरोना से लडऩे में मदद करेगी और इसका नाम है-वैदिक थाली. 5000 साल पहले वैदिक युग में जिस तरह का खाना होता था और जिस तरीके से पकाया जाता था.
उसी आधार पर यह वैदिक थाली तैयार हुई है, जिसमें लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल ईंधन की तरह किया जाता है और मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाया जाता है. खाने के मसाले भी आयुर्वेदिक रूप से चुने गए हैं जिससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हो. वैदिक थाली बनाने वाले शेफ कैलाश ने  बताया कि वह किस तरह 5000 साल पुरानी तकनीक से खाना बना कर कोविड-19 में लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. वैदिक थाली में मुख्य रूप से हरी सब्जियों का इस्तेमाल किया गया है. वह सब्जियां जिसमें आयरन, विटामिन सी, विटामिन डी ज्यादा मात्रा में होता है. साथ ही मसालों के रूप में हल्दी, आंवला, तुलसी, भृंगी, मुलेठी, शंखपुष्पी जैसे आयुर्वेदिक समाग्री का इस्तेमाल किया गया है. वैदिक थाली का मेन्यू भी आपको लुभा सकता है. स्टार्टर में जहां सप्तसामग्री पनीर टिक्का, पात्रा, करेला आलू पीटिका है. वहीं मेन कोर्स में लाल साग, गढ़वाल दाल, काफूली, अंजीर के कोफ्ते, कुमाउनी रायता, मडुआ रोटी, आलू गुटक शामिल हैं.े इस थाली की कीमत 500 रुपयों से कम है और इसमें आराम से दो व्यक्ति भरपेट खाना खा सकते हैं.

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