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वोहरा समिति की रिपोर्ट गायब!

रिपोर्ट में थी दाऊद, अंडरवर्ल्ड व राजनेताओं के कनेक्शन की जानकारी

नई दिल्ली/दि. 21 – आंतर्राष्ट्रीय माफिया सरगना व भारत के लिए सर्वाधिक वांच्छित रहनेवाले अपराधी दाऊद इब्राहिम, अंडरवर्ल्ड तथा राजनेताओं के बीच रहनेवाले कनेक्शन की जांच करने हेतु गठित वोहरा समिति की रिपोर्ट के रेकॉर्ड पर ही नहीं रहने की जानकारी सामने आई है. किसी भी भारतीय राजनीतिज्ञ, नेता अथवा शरद पवार के उल्लेख को लेकर कोई जानकारी रिकॉर्ड पर नहीं रहने की बात केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कही गई. विशेष उल्लेखनीय है कि, जानकारी देना संभव नहीं रहने की स्थिति में आवेदन पर जवाब देते हुए उसका कारण लिखा जाता है. परंतु इस मामले में गृह विभाग द्वारा साफ तौर पर कहा गया है कि, पूछी जानकारी अभिलेख यानी रिकॉर्ड पर ही उपलब्ध नहीं है. जिसे लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है. वहीं इस संदर्भ में तत्कालीन गृह सचिव एन. एन. वोहरा से जानकारी हेतु संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा कि, उन्हें मौजूदा गृह विभाग की कार्यप्रक्रिया पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.
बता दें कि, 9 जुलाई 1993 को राजनीति के अपराधिकरण विषय पर जांच करने हेतु केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव एन. एन. वोहरा की अध्यक्षता के तहत एक समिति गठित की गई थी. इस समिति को भी वोहरा समिति के तौर पर जाना जाता है. 5 अक्तूबर 1993 के आसपास एन. एन. वोहरा ने समिति की रिपोर्ट तैयार करते हुए उसकी केवल तीन प्रतियां भी छापी. जिसमें से एक प्रति केंद्रीय गृह मंत्रालय व दूसरी प्रति केंद्रीय गृह राज्यमंत्री को सौंपने के साथ ही उन्होंने तीसरी प्रतिलिपी अपने पास रखी, ऐसा कहा गया. लेकिन वोहरा समिति की रिपोर्ट को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया. ऐसे में वोहरा समिति को लेकर सूत्रों के हवाले से आज तक कई तरह की खबरे सामने आई. जिनमें कुछ राजनीतिज्ञों का उल्लेख करते हुए कहा गया कि, राजनीति व अपराध जगत के बीच जबरदस्त कनेक्शन है और इसी कनेक्शन का उपयोग मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के पीछे भी किया गया था. राजनेताओं द्वारा अपराधियों के पैसों का प्रयोग करते हुए अपराध जगत के पैसों पर ही चुनाव लडे जाते है, ऐसा निष्कर्ष भी वोहरा समिति द्वारा निकाले जाने की बात कही गई. वहीं सन 1997 में वोहरा समिति की रिपोर्ट के लिहाज से जांच करने हेतु एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का भी आदेश जारी किया गया था. परंतु उस समिति की रिपोर्ट भी पूरी तरह से सामने नहीं आ पाई. साथ ही अब वोहरा समिति की रिपोर्ट ही केंद्र सरकार के रिकॉर्ड से गायब होने का संदेह जताया जा रहा है. जिसके चलते जबरदस्त राजनीतिक तुफान मचने की पूरी संभावना है.

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