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सन् 1951 से छह गुना बढे मतदाता, मतदान का प्रतिशत घटा

देश में है कुल 94.50 करोड से अधिक वोटर

एक तिहाई से अधिक नहीं करते हैं मतदान
नई दिल्ली /दि.6- वर्ष 1951 से देश में कुल मतदाताओं की संख्या में लगभग छह गुना वृद्धि हुई है. वर्ष 1951 में जब पहली बार आम चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार की गई थी, तब देश में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 17.32 करोड के आसपास थी. वहीं इस समय देश में कुल मतदाताओं की संख्या 94.50 करोड से अधिक है. वहीं इस तथ्य की अनदेखी भी नहीं की जा सकती. देश में पहले चुनाव से लेकर हालफिलहाल हुए चुनाव तक हमेशा ही मतदाताओं में मतदान को लेकर काफी हद तक अनास्था रही है. जहां वर्ष 1951 में हुए पहले चुनाव में 45.67 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, वहीं वर्ष 2019 में हुए संसदीय चुनाव में केवल 67.40 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले. यानी एक तिहाई से अधिक मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचे ही नहीं.
उल्लेखनीय है कि मतदान का प्रतिशत बढाने और अधिक से अधिक मतदाताओं को अपने मताधिकार के प्रयोग को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए निर्वाचन आयोग व्दारा व्यापक स्तर पर जनजागृति की जाती है. जिसके लिए समय-समय पर मतदाता पंजीयन अभियान चलाने के साथ ही मतदाता सूची पुनर्निरिक्षण कार्यक्रम भी चलाया जाता है. साथ ही अब मतदाता पहचान पत्रों को आधार कार्ड से लिंक करने के लिए दो दिवसीय विशेष शिविर भी लिया जाना वाला है. ताकि अधिक से अधिक मतदाताओं के नाम, विशेषकर 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवाओं के नाम मतदाता सूची में बतौर मतदाता दर्ज किए जा सके. इसके साथ ही इन सभी मतदाताओं को मतदान का महत्व समझाने के लिए भी कई उपक्रम चलाए जाते है. लेकिन इसके बावजूद भी सन् 1951 से लेकर अब तक कभी भी 70 फीसद से अधिक मतदान नहीं हुआ है.
क्या कहते है आंकडे
सन् 1951 के पहले आम चुनाव में 17.32 करोड के आसपास पंजीकृत मतदाता थे. जिसमें से 45.67 फीसद मतदाताओं ने ही अपने मतदाधिकार का प्रयोग किया था. वहीं सन् 1957 के आम चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 19.37 करोड के आसपास जा पहुंची, लेकिन इसमें से केवल 47.74 फीसद मतदाता ही मतदान केंद्रों तक पहुंचे. इसके उपरांत वर्ष 2009 तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 71.70 करोड के आसपास पहुंच गई. परंतु इसमें से केवल 58.21 फीसद मतदाताओं ने ही मतदान किया. वर्ष 2014 के आम चुनाव में पंजीकृत मतदाता 83.40 करोड के आसपास रहे. जिसमें से 66.44 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. वहीं 2019 के आम चुनाव में 91.20 करोड के आसपास पंजीकृत मतदाता हुआ करते थे, लेकिन इसमें से वोट डालने हेतु केवल 67.40 फीसद मतदाता ही मतदान केंद्र तक पहुंचे. वहीं इसके बाद चलाए गए मतदाता पंजीयन अभियान व मतदाता सूची पुनर्निरिक्षण कार्यक्रम के चलते देश में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 94.50 करोड के आसपास जा पहुुंची है. जिसमें में से अधिक से अधिक मतदाताओं को मतदान करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए निर्वाचन विभाग व्दारा काफी व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे है.
मतदान का प्रतिशत बढाने के लिए…
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब 30 करोड मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचे ही नहीं. जिसमें शहरी क्षेत्र के मतदाताओं व युवाओं के साथ-साथ स्थालांतरित मतदाताओं का भी समावेश था. स्थालांतरित मतदाताओं के नाम उनके पैतृक राज्य की मतदाता सूची में दर्ज रहते है और विभिन्न कारणों के चलते वे मतदान करने हेतु अपने घर व शहर नहीं लौटते. ऐसे मतदाताओं के लिए दूरस्थ मतदान तकनीक की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है, लेकिन इसके लिए राजनीतिक सहमती बेहद आवश्यक है.
– इसके अलावा रिमोट इलेक्ट्रानिक मतदान यंत्र का प्रयोग करने हेतु कानून के दायरे में भी बदलाव करना आवश्यक है.

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