नई दिल्ली/दि.३-जल जीवन मिशन के तहत राष्ट्रीय स्तर पर भारत के 117 तथाकथित खराब सामाजिक आर्थिक जिलों (Aspirational Districts) में घरों को पाइपलाइन से पानी उपलब्ध कराने की दर में चार गुना वृद्धि हुई है. देश के खराब सामाजिक आर्थिक और जापानी इंसेफ्लाइटिस के असर वाले जिलों के सभी घरों में से एक तिहाई से अधिक घरों में अब जल जीवन मिशन के तहत पाइप से पानी आ रहा है. एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि देश के सभी घरों में से लगभग 11.2 मिलियन या 38 फीसदी जापानी-इंसेफ्लाइटिस स्थानिक लोगों के पास स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए स्वच्छ पाइप वाले पानी की पहुंच है. साल 2019 में ये लगभग 2.9 फीसदी थी. नए आंकड़ों के मुताबिक फ्लैगशिप मिशन के तहत दूसरे 11.8 मिलियन घरों या कुल का 35 फीसदी खराब सामाजिक आर्थिक जिलों में नल का पानी कनेक्शन प्रदान किया गया है. साल 2019 में ये 7.9 फीसदी था. जल जीवन मिशन-हर घर जल योजना के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल 2024 तक एक नल का पानी कनेक्शन प्रदान किया जाना है. 2014 की संयुक्त राष्ट्र जल रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 120 मिलियन से अधिक घरों में अपने घरों के पास स्वच्छ पानी की पहुंच नहीं है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है.
भारत में 189 मिलियन ग्रामीण परिवार
जनगणना के आंकड़ों के अनुसार भारत में 189 मिलियन ग्रामीण परिवार हैं. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में अब तक कुल ग्रामीण घरों में से 80 मिलियन या 42.5 फीसदी से अधिक को पाइप पेयजल मिशन के तहत कवर किया गया है. ग्रामीण घरों में स्वच्छ पानी लाने के लिए देश में कई सार्वजनिक कार्यक्रम हैं, जैसे कि साल 1986 में शुरू किया गया राष्ट्रीय पेयजल मिशन. लेकिन जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल कार्यक्रम (हर घर के लिए पानी) के साथ हर घर में पाइप से पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य एक मिशन मोड में प्रवेश कर गया. पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में काम करने वाली शोधकर्ता सुबिता लक्ष्मीनारायणन और रामकृष्णन जयलक्ष्मी के अनुसार खराब गुणवत्ता वाला पानी दस्त जैसी बीमारियों का कारण बनता है, जो भारत में बचपन की मौत का तीसरा प्रमुख कारण है. गजेंद्र शेखावत के नेतृत्व वाला जल शक्ति मंत्रालय ग्रामीण घरेलू जल मिशन के कार्यान्वयन की देखरेख करता है. एक दूसरे अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि योजना के बहुत ही डिजाइन के अनुसार पानी के बुनियादी ढांचे को बिछाने के लिए खराब सामाजिक आर्थिक जिलों की प्राथमिकता है. इसी तरह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी वाले क्षेत्रों को भी प्राथमिकता दी जाती है. इससे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कार्यान्वयन की गति तेज हुई है. केंद्रीय बजट ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन के लिए 2019-20 में 10,001 करोड़ रुपए आवंटित किए. 2020-21 में 11,500 करोड़ रुपए प्रदान किए गए. केंद्रीय बजट 2021-22 ने मिशन के लिए 50,000 करोड़ रुपए आवंटित किए.