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फाइजर की कोरोना वैक्सीन प्रभावी है या नहीं

अक्टूबर के अंत तक पता चल जाएगा

नई दिल्ली./ दि.१५ – कोरोना वैक्सीन के लिए दूसरे और तीसरे चरण का मानव परीक्षण कर रही अमेरिका की दवा कंपनी फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अल्बर्ट बर्ला ने कहा है कि अक्टूबर के अंत तक पता चल जाएगा कि वैक्सीन प्रभावी है या नहीं और यदि यह प्रभावी साबित होती है तो दिसंबर तक यह अमेरिका में वितरित हो सकती है. फाइजर जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन विकसित कर रही है. फाइजर के सीईओ ने रविवार को एक अमेरिकी मीडिया प्रतिष्ठान को दिये गये साक्षात्कार में कहा कि पूरी संभावना है कि अगले माह के अंत तक कंपनी तीसरे चरण के परीक्षण दस्तावेज अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण यानी यूएसएफडीए के समक्ष पेश कर देगी.
उन्होंने कहा कि इस बात की ६० फीसदी से अधिक संभावना है कि उस वक्त तक यह पता चल जाएगी कि वैक्सीन प्रभावी है या नहीं. उसके बाद यह यूएसएफडीए का काम है कि वह हमें लाइसेंस जारी करते हैं या नहीं. हालांकि, हमने पूरी तैयारी कर ली है और अब तक हमने लाखों डोज तैयार कर लिये हैं. यदि वैक्सीन सफल साबित होती है और यूएसएफडीए तथा सलाहकार समिति इससे संतुष्ट होती है तो हम वितरण के लिए पूरी तरह तैयार रहेंगे. यह अमेरिका के ३९ राज्यों सहित तीन देशों की १२० से अधिक साइट पर वैक्सीन का चिकित्सकीय परीक्षण कर रही है. वह वैक्सीन के लिए दूसरे तथा तीसरे चरण का मानव परीक्षणकर रही है. उसने पहले तीसरे चरण के परीक्षण में ३०,००० वालंटियर को शामिलकरने के लिए नियामकों की मंजूरी ली थी लेकिन बाद में उसने यह संख्या बढाकर करीब ४४ हजार करने के लिए अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण यानी यूएसएफडीए के समक्ष गत शनिवार को आवेदन किया.

परीक्षण के लिए बडी संख्या में आए आवेदन
अल्बर्ट बर्ला ने बताया कि वैक्सीन के परीक्षण में शामिल होने के लिए बडी संख्या में लोगों ने आवेदन किया. अब तक करीब ३०,००० वालंटियर को शामिल कर लिया गया है. वृहद स्तर पर परीक्षण करने से वैक्सीन के सुरक्षा पहलू से हम निश्चिंत हो सकते हैं. अभी परीक्षण में १८ से ८५ साल की आयु तक के वालंटियर शामिल हैं. लेकिन अब हम १६ साल तक की आयु के किशोर को भी परीक्षण में शामिल करेंगे. इसके अलावा हम अब अलग-अलग बीमारियों जैसे एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को भी वालंटियर के रुप में इस परीक्षण में शामिल करेंगे. हम अलग-अलग नस्ल के व्यक्तियों को भी परीक्षण में जगह देंगे. उन्होंने कहा कि हम परीक्षण में अफ्र ीकी अमेरिकी और लातिनी समुदाय के वालंटियर की संख्या बढाएंगे.

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