मुंबई/दि.१३– महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच मंदिर खोलने के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पत्र पर कड़ी सियासी प्रतिक्रिया आ रही हैं. उद्धव ठाकरे के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्य सरकार में राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात ने कहा कि राज्यपाल ने जो किया है, वो ठीक नहीं है.
प्रेस कांफ्रेंस में मंदिर मुद्दे पर बालासाहेब थोरात ने कहा कि राज्यपाल ने खुद धर्मनिरपेक्षता के नाम पर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली है. राज्यपाल ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, क्या उसे राष्ट्रपति स्वीकार करेंगे?
राजस्व मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कोरोना संकट के दौरान शानदार काम किया है. हमने चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन को खोला है. हर राज्य अपना फैसला ले रहा है. हम भी सही समय पर निर्णय लेंगे. मंदिरों में काफी भीड़ होती है, तो उसे खोलने का फैसला लेने में देरी हुई है. लेकिन श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खोले जाएंगे.
वहीं राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की चि_ी पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह का बयान एक राज्यपाल की तरफ से आया है जिसने संविधान की शपथ ली है. हिंदुत्व के टेस्ट के लिए शपथ लेने की जरूरत नहीं थी. अपने कर्तव्यों के निर्वहन में हिंदुत्व के प्रति सीएम की प्रतिबद्धता अप्रासंगिक है.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच राज्य में मंदिरों को फिर से खोलने के मुद्दे पर लेटर वार चल रहा है. राज्यपाल ने अपने पत्र में ठाकरे के हिंदुत्व पर सवाल उठाते हुए पूछा, आप हिंदुत्व के एक मजबूत स्तंभ रहे हैं, अब आप क्या सेक्युलर हो गए हैं? राज्य के मंदिरों में पूजा करने की अनुमति देने के मामले में कोश्यारी ने ठाकरे को पत्र लिखा था और पूछा था कि मंदिर कब से खुल रहे हैं. राज्य में सभी मंदिर कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण 23 मार्च से ही बंद हैं.
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हिंदुत्व पर सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं- उद्धव
सीएम उद्धव ठाकरे ने भगत सिंह कोश्यारी को इसका कड़ा जवाब दिया. उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल ने हिंदुत्व के बारे में जो उल्लेख किया है, वह बिल्कुल सही था. उन्होंने कहा, हालांकि, मुझे किसी से भी हिंदुत्व पर सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है, न ही मुझे इसे किसी से सीखना है. जो लोग पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ हमारे राज्य और मुंबई की तुलना करने वाले का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं, वे मेरे हिंदुत्व की परिभाषा में फिट नहीं बैठते.
उद्धव ठाकरे ने कहा, क्या आप ये कहना चाह रहे हैं कि सिर्फ मंदिर खोल देने से कोई हिंदुत्व का मसीहा हो जाता है और उसे बंद करने से वो सेक्युलर हो जाता है? आपने उस संविधान की शपथ ली है, जिसका मुख्य सिद्धांत सेक्युलरिज्म (धर्मनिरपेक्षता) है, क्या आप इससे सहमत नहीं हैं?