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‘IT एक्ट की धारा 66A के तहत दर्ज केस वापस लें, आगे नहीं हो इस्तेमाल’

केंद्र सरकार का राज्यों को निर्देश

नई दिल्ली/दि. 14 – केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे सूचना प्रौद्योगिकी (IT) एक्ट की धारा 66-ए के तहत दर्ज मामलों को तत्काल प्रभाव से वापस लें. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से अनुरोध किया है कि वे सभी पुलिस स्टेशन को निर्देश दें कि आईटी एक्ट की निरस्त हो चुकी धारा-66 ए के तहत कोई केस ना दर्ज की जाए.
मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह भी निर्देश दिया है कि वे जांच एजेंसियों को सुप्रीम कोर्ट के 24 मार्च 2015 के आदेश का पालन करने को कहें. सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2015 को श्रेया सिंघल बनाम भारत सरकार मामले में धारा-66ए को निरस्त कर दिया था. गृह मंत्रालय ने कहा कि उसी तारीख से आईटी एक्ट की धारा-66ए अमान्य है, इसलिए इस धारा के तहत कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है.
धारा-66ए कहती है कि अगर किसी ने कंप्यूटर या मोबाइल फोन जैसे उपकरणों का इस्तेमाल करके आपत्तिजनक या धमकी भरे संदेश दिए, जानबूझकर झूठी सूचना दी, ऐसा करके किसी को परेशान किया, अपमानित किया, शत्रुता, घृणा या दुर्भावना फैलाई, तो उसे दंडित किया जाएगा. ऐसे अपराध के लिए 3 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2015 को अपने फैसले में कहा था कि धारा-66ए पूरी तरह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है, इसलिए इसे निरस्त किया जाता है. साल 2012 में तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के देहांत के बाद मुंबई में दुकानें बंद की गई थीं. फेसबुक पर इस घटना की निंदा होने लगी तो पुलिस ऐसे लोगों को धारा 66-ए के तहत गिरफ्तार करने लगी थी. तब कानून की छात्रा श्रेया सिंघल ने इस धारा के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

  • हाल में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा था जवाब

अभी हाल ही में 5 जुलाई को पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने सुप्रीम कोर्ट में यही मामला उठाया था. उसने कोर्ट से केंद्र सरकार को ये निर्देश देने की मांग की थी कि तमाम पुलिस स्टेशन को आईटी एक्ट की धारा-66ए में केस ना दर्ज करने का आदेश दिया जाए. केस की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि ये आश्चर्य की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 66-ए को निरस्त कर दिया, फिर भी इस धारा के तहत केस दर्ज हो रहा है, ये भयानक स्थिति है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था. धारा-66ए के 6 साल पहले खत्म होने के बावजूद महाराष्ट्र में इस धारा के तहत 381 केस, झारखंड में 291 केस, उत्तर प्रदेश में 245, राजस्थान में 192 और देश भर में कुल मिलाकर 1,307 केस दर्ज किए गए हैं.

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