नई दिल्ली/दि. 5 – वायुसेना प्रमुख वी. आर. चौधरी ने मंगलवार को कहा कि उस महिला अधिकारी पर कोई टू-फिंगर टेस्ट नहीं किया गया है, जिसने एक सहकर्मी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. 8 अक्टूबर को आईएएफ दिवस से पहले वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा, कोई टू-फिंगर टेस्ट नहीं किया गया है. टू-फिंगर टेस्ट के बारे में जानकारी गलत है. वायु सेना कानून बहुत सख्त है. वास्तविक तथ्य यह है कि यह परीक्षण नहीं किया गया था. जांच रिपोर्ट के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. दुष्कर्म पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसका प्रतिबंधित किया जा चुका परीक्षण (टू-फिंगर टेस्ट) किया गया था एक साथी सहयोगी के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में उसके यौन इतिहास के बारे में पूछताछ की गई थी.
महिला अधिकारी ने 20 सितंबर को तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 10 सितंबर को शराब के नशे में एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट द्वारा उसके साथ दुष्कर्म किया गया था. उसने आरोप लगाया कि 10 सितंबर को उसके टखने में चोट लगी थी, जिसके लिए उसने एक दर्द निवारक गोली (पेन किलर टेबलेट) ली थी. उस रात बाद में, उसने दोस्तों के एक समूह के साथ दो ड्रिंक्स पी थीं, जब आरोपी ने उसे एक गिलास परोसा था. महिला अधिकारी ने दावा किया कि जब वह बेहोशी की हालत में थी, तब उसने आरोपी को कमरे में घुसते देखा था, जिसने उसका यौन शोषण किया. उसने राष्ट्रीय महिला आयोग को बताया कि बाद में वायु सेना अस्पताल में उसका टू-फिंगर परीक्षण किया गया. एक प्रेस नोट में, एनसीडब्ल्यू ने कहा कि उसने महिला वायु सेना अधिकारी के टू-फिंगर टेस्ट कराने जाने वाले मामले का संज्ञान लिया है भारतीय वायु सेना के डॉक्टरों की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है. इसमें कहा गया है, एनसीडब्ल्यू ने पूरी तरह निराशा व्यक्त की है पीड़िता की निजता गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करने के लिए भारतीय वायुसेना के डॉक्टरों की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है. एनसीडब्ल्यू चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने आईएएफ प्रमुख को भी इस मामले का संज्ञान लेने उचित कार्रवाई करने को लेकर पत्र लिखा है.