नई दिल्ली/दि.१३-यशवंत सिन्हा कभी बीजेपी के दिग्गज नेता हुआ करते थे, लेकिन शनिवार को इन्होंने तृणमूल कांग्रेस को ज्वाइन कर लिया और टीएमसी ज्वाइन करने के बाद इन्होंने कंधार कांड के समय का एक किस्सा सुनाया. इस किस्से को सुनाते हुए उन्होंने दीदी की तारीफ की.
बता दें कि वर्ष 1999 में विमान अपहरण के समय ममता बनर्जी अटल जी की सरकार में रेल मंत्री थीं और यशवंत सिन्हा तब वित्त मंत्री हुआ करते थे. यशवंत सिन्हा के मुताबिक, कंधार मामले पर एक कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई थी. इस मीटिंग में उस समय रेल मंत्री ममता बनर्जी ने सरकार से ये भी कहा था कि कंधार में वो आतंकियों के सामने बंधक तो बन जाएंगी लेकिन इसके लिए उनकी एक शर्त होगी.
टीएमसी की सदस्यता लेने के बाद यशवंत सिन्हा ने कहा कि ममता जी और हमने साथ मिलकर अटल जी की सरकार में काम किया था. ममता जी शुरू से ही एक फाइटर रही हैं. आज मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब AI का हवाई जहाज जब उसको अगवा कर लिया गया था और आतंकी उसको कंधार ले गए थे, तो कैबिनेट में एक दिन चर्चा हो रही थी. ममता जी ने ऑफर किया कि वो स्वयं हॉस्टेज बन कर वहां पर जाएंगी.
यशवंत सिन्हा ने ये भी कहा कि ममता जी ने ऑफर किया कि वो स्वयं हॉस्टेज बन कर वहां पर जाएंगी और शर्त ये होनी चाहिए कि बाकी के जो होस्टेज हैं, उन्हें आतंकवादी छोड़ दें और वो उनके कब्ज़े में चली जाएंगी. जो कुर्बानी देनी पड़ेगी देंगी, देश के लिए तो आज ऐसी सारी ताकतों को इक आने की जरूरत है.
यशवंत सिन्हा के दावों के मुताबिक, अटल सरकार में ममता चूंकि रेल मंत्री थीं, बड़ा चेहरा थीं इसलिए वो चाहती थीं कि आतंकी उन्हें बंधक बना लें और 180 यात्रियों को रिहा कर दें. यशवंत सिन्हा ने ये बातें बताते हुए ममता बनर्जी को देशभक्त और फाइटर भी कहा. यशवंत सिन्हा के इस बयान पर टीएमसी की प्रतिक्रिया भी आई और टीएमसी ने घटना को सही बताया.
कंधार कांड.. 24 दिसंबर, 1999 को हुई एक आतंकवादी घटना थी. काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस का विमान नई दिल्ली के लिए रवाना हो चुका था. विमान में तब 180 लोग सवार थे. शाम पांच बजे जैसे ही विमान भारतीय वायु क्षेत्र में दाखिल होता है. अपहरणकर्ता हरकत में आते हैं और फ्लाइट को पाकिस्तान ले जाने की मांग करते हैं. आतंकियों की इसी मांग के साथ दुनिया को मालूम चलता है कि इस भारतीय विमान का अपहरण हो चुका है.
विमान पहले अमृतसर में थोड़ी देर के लिए रुकता है फिर कैसे इसके बाद लाहौर के लिए रवाना होता है और लाहौर से दुबई के रास्ते होते हुए आतंकी विमान को अगले दिन सुबह अफगानिस्तान में कंधार की जमीन पर लैंड करते हैं. फिर कैसे 180 लोगों की जान के बदले आतंकी मसूद अजहर, उमर शेख और मुश्ताक अहमद को छोडऩे की मांग भारत सरकार के सामने रखी जाती है.
फिर कैसे अटल जी की तत्कालीन सरकार इन यात्रियों को छुड़ाने में कामयाब हो पाती है. ये अब एक इतिहास है, लेकिन 22 वर्ष बाद इसी कंधार कांड की चर्चा अब पश्चिम बंगाल के चुनाव में हो रही है. 27 मार्च को बंगाल में पहले चरण की वोटिंग होनी है. 2 मई को चुनावी परिणाम आएगा