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आप दान नहीं कर रहे, लोगों को यहां-वहां क्यों भेज रहे हैं

* सुको ने मुआवजे को लेकर महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार

नई दिल्ली / दि.5– सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनोें को दिए जाने वाले मुआवजे की मांग के ऑफलाइन आवेदनों को खारिज करने पर महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है.
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा, “ऑफलाइन जमा किए गए किसी भी आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. आप दान नहीं कर रहे है. कल्याणकारी राज्य के रुप में यह आपका कर्तव्य है. आप लोगों को यहां-वहां क्यों भेज रहे हैं? इसे दिल की गहराई से करे.” पीठ ने कहा, इस आधार पर कोई अस्वीकृति नहीं होगी कि आवेदन ऑफलाइन दायर किया गया है. जहां भी आवेदन खारीज किए गए है, राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर समीक्षा करने और मुआवजा देने का निर्देश दिया जाता है. महाराष्ट्र सरकार को राज्य विधिक सेवा सदस्य सचिव को कारणों के साथ खारिज किए गए दावों का विवरण देने का निर्देश दिया जाता है. कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव के साथ समन्वय करने के लिए समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त करें, ताकि कोविड-19 से जान गंवाने वालों के परिजनों को अनुग्रह राशि का भुगतान किया जा सके. सुको ने राज्य सरकारों को एक सप्ताह के भीतर संबंधित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास पूर्ण विवरण उपलब्ध करने का निर्देश दिया.
कोर्ट की दो-टूक
* मुआवजे की मांग करने वाले आवेदनों को तकनीकी आधार पर खारिज नहीं करें.
* यदि कोई तकनीकी गडबडी पाई गई, तो त्रुटि ठीक करने का अवसर दिया जाए.
* कल्याणकारी राज्य का अंतिम लक्ष्य पीडितोें को कुछ सांत्वना और मुआवजा प्रदान करना होता है.
* विधिक सेवा प्राधिकरण का प्रयास उन पीडितों तक पहुंचने का होगा, जिन्होंने अब तक किसी भी कारण संपर्क नहीं किया है.
कोविड से हुई मौतों का ब्यौरा मांगा था
शीर्ष अदालत अधिवक्ता गौरव बंसल और हस्तक्षेपकर्ताओं व्दारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में कोविड से जान गंवाने वालो के परिजनों को अनुग्रह की राशि उपलब्ध कराए जाने का आग्रह किया गया है. सुको ने कहा कि उसने पिछले आदेश में कहा था कि राज्य सरकारें अपने पोर्टल पर दर्ज कोविड से संबंधित मौतों का ब्यौरा देने के सा

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