छोड़ी सांस के ब्रीदप्रिंट से जानेंगे पेट में इंफेक्शन है, अल्सर या कैंसर
एक हजार से ज्यादा मरीजों पर परीक्षण पेंटेंट कराया गया
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कोलकाता के एनसीबीसी के वैज्ञानिकों ने विकसित की तकनीक, नाम रखा-पायरो ब्रीद
नई दिल्ली/दि.३ – अब छोड़ी हुई सांसों के ब्रीदप्रिंट से पता चल जाएगा कि पेट में सामान्य संक्रमण है,अल्सर है या फिर कैंसर कोलकाता के एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के वैज्ञानिकों ने पेट में संक्रमण से लेकर अंातों के कैंसर तक की बीमारियों के रोगाणु पहचानने का नया तरीका विकसित किया हैे इसमें किसी रोगी के संासों के सैंपल से ही पेट के रोग की शुरूआती स्तर पर पहचान हो जायेगी. इसे ‘पायरो-ब्रीद’ नाम दिया है. सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. माणिक प्रधान ने बताया कि ‘पायरो-ब्रीद’ एक तरह का गैर एनालायजर है, जो वापस आरही सांस में मौजूद व कणे के खास किस्म के ब्रीद प्रिंट को स्कैन कर सकता है. ब्रीदप्रिंट एक तरह से फिंगरप्रिंट की तरह है,जो हर व्यक्ति का बिल्कुल अनूठा होता हैे कोलकाता के साल्टलेक स्थित एएमआरआई अस्पताल में एक हजार से अधिक मरीजों पर इसके प्रोटोटाइप का परीक्षण किया गया. यह एंडोस्कॉपी टेस्ट की तुलना में ९६ प्रतिशत ज्यादा सटिक पाया गया. इस का पेंटेंट हो गया है और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की प्रक्रिया चल रही है. इसका व्यावसायिक उत्पादन अगले साल तक शुरू हो जायेगा. डॉ. प्रधान ने बताया कि छोड़ी गई सांसों में गैसो के साथ पानी की महिन बूंदे होती हैे. इनसे पेट में अनेक बीमारियों के कारक बैक्टीरिया ‘हेलीकोबैक्टर पायलोरी’ की पहचान होती है. टीम ने सांसों में मौजूद विभिन्न किस्म की पानी की बूंदों में (ब्रीदोमिक्स विधि) पानी के कई तत्व यानी आइसोटोप्स का अध्ययन किया. हैलीकोबैक्टर पायलोरी पेट में संक्रमण करनेवाला एक बैक्टीरिया है. यदि इसकी शुरूआत में ही इलाज न किया जाए तो यह पेप्टिक अल्सर व पेट व आंतों में कैंसर पैदा कर सकता है. अभी तक इस रोग को पहचानने के लिए एंडोस्कॉपी या बायोप्सी करनी पड़ती है. जो बेहद दर्दनाक प्रक्रिया है और इस रोग की शुरूआती पहचान के लिए मुफीद भी नहीं है. इस तकनीक से बुजर्गो, नवजात बच्चों और खास तौर पर गर्भवती महिलाओं को ज्यादा फायदा होगा.
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१०० रूपये से कम होगी टेस्ट की लागत, एंडोस्कॉपी में लगते हैं ढाई हजार
डॉ.प्रधान व पांच शोधकर्ताओं की टीम ने ५ साल के अनुसंधान के बाद ‘पायरो -ब्रिद’ उपकरण विकसित किया है. बाजार में इसकी कीमत करीब १० लाख रूपये होगी, जबकि एंडोस्कॉपी मशीन की कीमत २५ लाख रूपये होती है. एंडोस्कॉपी टेस्ट करवाने में ढाई हजार रूपये खर्च आता है, जबििक इस टेस्ट की लागत १०० रूपये से भी कम होगी.