अमावस्या की रात को कीट अधिक सक्रिय
किसानों का अनुभव, वैज्ञानिक निरीक्षण का भी दावा

अमरावती/ दि. 30-गुलाबी बोंड इल्ली, पत्ते खानेवाली इल्ली, घाटेवाली इल्ली , लष्करी इल्ली और अन्य प्रकार के कीट, पतंगा यह निशाचर रहते है. अमावस्या की रात गहरा अंधकार होने से यह कीट अधिक सक्रिय रहते हैं. प्रजनन करते हैं. इसलिए संपूर्ण प्रबंधन आवश्यक है. कृषि विभाग का उक्त आशय का निष्कर्ष रहने के साथ महकमे ने किसानों को सावधान किया है.
किसानों के अनुभव
विभाग का कहना है कि क्षेत्र के कृषकों ने भी इस बात को अधोरेखित किया है. अनुभव किया है. अमावस्या को कीट पतंगे सक्रिय होने के साथ अधिक प्रमाण में अंडे देते है. कीट के अंडों का प्रमाण 20 से 30 प्रतिशत बढ सकता है. कुछ जगह फलों की कोमल पत्तियों पर, कुछ जगह तनों पर और अमावस्या के आसपास कीट का प्रादुर्भाव बढ जाता है. अत: किसान अमावस्या के पहले दिन या तुरंत बाद कीट नियंत्रण के लिए दवा छिडकाव करते हैं.
प्रबंधन महत्वपूर्ण
कृषि विद्यापीठ के अध्ययन के अनुसार अमावस्या को कुछ खास कीट का प्रादुर्भाव बढ जाता है. यह अंधश्रध्दा न होकर जीवशास्त्र का अध्ययन करनेवाले लोगों का भी निरीक्षण है. प्रत्येक समय कीट बढेंगे. जरूरी नहीं जाल बिछाकर कीट की संख्या गिनना और उसके अनुसार प्रबंधन करना आवश्यक एवं अधिक प्रभावी बताया गया है.
क्या कहते हैं उप संचालक
कृषि उप संचालक वरूण देशमुख ने कहा कि फसलों का नियमित निरीक्षण करना चाहिए. जाल लगाकर कीट की संख्या देखनी चाहिए. परिपूर्ण प्रबंधन होना चाहिए. इसके लिए कृषि महकमें की सलाह और सुझाव लिए जा सकते हैं. अमावस्या और कीट के बारे में किसानों के अनुभव और कुछ प्रमाण में जीवशास्त्रीय अध्ययन का निष्कर्ष है. कीट नाशक का छिडकाव आवश्यक है. अंडों का आरंभिक काल में नायनाट करना जरूरी है.





