क्या महावितरण को है किसी बडे हादसे या घटना का इंतजार?

समय रहते आम नागरिकों के गुस्से को समझना है जरुरी

* समय-बेसमय बत्ती गुल के साथ ही टालमटोल वाले रवैए से बढ रहा गुस्सा
* अब तक महावितरण के दो केंद्रों पर हो चुकी तोडफोड व उत्पात वाली घटनाएं
* वलगांव में तो दो आम युवकों ने महावितरण कार्यालय में आग ही लगा दी
अमरावती/दि.17 – प्रति वर्ष अप्रैल-मई माह के दौरान महावितरण द्वारा बारिश के मौसम में बिजली आपूर्ति को सुचारु रखने हेतु मानसूनपूर्व काम करने का दावा किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद बारिश का मौसम शुरु होते हलकी सी हवा चलने और थोडबहुत पानी बरसने पर बिजली गुल होने का सिलसिला शुरु हो जाता है. यह लगभग हमेशा और हर साल की बात है. जिसके चलते शहर सहित जिले में विगत 10-15 दिनों से आए दिन समय-बेसमय बिजली की आंखमिचौली चल रही है. जबकि अभी ढंग से बारिश का मौसम भी शुरु नहीं हुआ है, ऐसे में गर्मी व उमस से भरे वातावरण के दौरान कई-कई घंटों तक बिजली गुल रहने के चलते लोगबाग हलाकान हो चले है और अब विद्युत आपूर्ति खंडित होने पर उनका गुस्सा महावितरण के खिलाफ फुटने लगा है. यही वजह है कि, जहां कुछ दिन पहले महेंद्र कॉलोनी-शोभा नगर परिसर स्थित महावितरण केंद्र पर क्षेत्रवासियों जमकर तोडफोड की थी. वहीं दो दिन पूर्व वलगांव में स्थित महावितरण कार्यालय में घुसकर दो लोगों ने पेट्रोल छिडककर आग लगा दी. ऐसे में अब खुद महावितरण के सभी छोटे व बडे अधिकारियों को इस बात पर विचारमंथन करना होगा कि, आखिर सर्वसामान्य नागरिकों द्वारा महावितरण के खिलाफ इतनी तीव्र भूमिका क्यों अपनाई जा रही है? साथ ही यह सवाल भी पूछा जा सकता है कि, क्या महावितरण को अमरावती शहर में किसी बडे हादसे या कोई बडी दुर्घटना होने का इंतजार है.
ज्ञात रहे कि, भले ही महावितरण द्वारा हर वर्ष की भांती इस वर्ष भी मानसूनपूर्व कामों को निपटा लेने का बडे जोरशोर के साथ दावा किया गया है, परंतु जमिनी हकीकत इससे बिलकुल उलट है. शहर में सडकों के दोनो ओर बिजली के तारों पर लटकती पेडों की टहनियां इस बात की खुली गवाही देती है और बारिश या हलकी हवा के झोके शुरु होनेे पर इन्हीं पेडों की टहनियों की वजह से विद्युत आपूर्ति बार-बार खंडित होती है और कई बार पेडों की ऐसी छोटी-बडी टहनियों के टूटकर विद्युत तारों पर गिरने की वजह से विद्युत तार सहित विद्युत पोल क्षतिग्रस्त होते है. जिसके चलते कई-कई घंटों तक बिजली की आपूर्ति खंडित रहती है.
यहां पर यह भी ध्यान दिलाया जा सकता है कि, ओवरहेडेड विद्युत तारों की वजह से पैदा होनेवाली दिक्कतों को देखते हुए महावितरण द्वारा शहर में बडे जोरशोर के साथ भूमिगत केबल डालते हुए अंडरग्राउंड विद्युत आपूर्ति शुरु करने का दावा किया गया था. लेकिन उस योजना व उपक्रम का आगे चलकर क्या हुआ? और वह योजना जमीन के किस हिस्से में नीचे दब गई यह आज तक किसी को भी पता नहीं चला. यहां पर यह भी ध्यान दिए जानेवाली बात है कि, जहां एक ओर शहर का बडी तेजी के साथ विस्तार हो रहा है और विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या भी अच्छी-खासी बढ रही है. वहीं महावितरण द्वारा अब भी पुराने ढर्रे पर ही सुस्त रफ्तार के साथ काम किया जा रहा है और काम करने के तरीके में कोई बदलाव नहीं किया गया है. जिसके चलते मौजूदा दौर की चुनौतियां से निपटने में महावितरण काफी हद तक नाकाम साबित हो रहा है. इन्हीं सब बातों का परिणाम है कि, हवा का हलका सा झोंका और हलकी-फुलकी बारिश भी विद्युत आपूर्ति को खंडित कर देने के लिए पर्याप्त साबित हो जाती है और बार-बार खंडित होनेवाली विद्युत आपूर्ति की वजह से खुद महावितरण को ही नागरिकों के रोष का सामना करना पडता है. ऐसे में यह बेहद जरुरी हो चला है कि, महावितरण द्वारा समस्या की जड को समझते हुए समाधान का रास्ता खोजा जाए.
कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, महावितरण द्वारा मानसूनपूर्व कामों में की गई कोताही के चलते आज कई स्थानों पर विद्युत तार बडे-बडे पेडों की टहनियों के बीच से होकर गुजर रहे है. बारिश के मौसम के दौरान पेडों की टहनियों का टूटने या किसी पेड का समूल उखडकर गिर जाने की संभावना बनी रहती है. ऐसे समय यदि किसी पेड की टहनी या पेड के टूटकर गिरने की वजह से बिजली के तार क्षतिग्रस्त होते है, तो इससे संबंधित परिसर में करंट फैलने अथवा स्पार्किंग होकर आग लगने जैसी घटना घटित होने की आशंका भी बनी रहती है. साथ ही साथ बिजली के तार टूट जाने की वजह से काफी बडे इलाके की बिजली भी गुल हो जाती है. जिसके बाद महावितरण को ही विद्युत आपूर्ति की स्थिति सामान्य करने के लिए अच्छी-खासी उठापटक व मशक्कत करनी पडती है. ऐसे में सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने की बजाए महावितरण के लिए काफी बेहतर होगा कि, बारिश का मौसम शुरु होने से पहले समय रहते ही कागजी खानापूर्ति करने की बजाए हकीकत में मानसूनपूर्व कामों को पूरी गंभीरता के साथ पूर्ण किया जाए. ताकि नागरिकों को महावितरण के खिलाफ कोई भी उग्र भूमिका अपनाने की जरुरत ही न पडे.
* कई बार स्थिति हमारे हाथ नहीं होती
इस संदर्भ में जानकारी व प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किए जाने पर महावितरण के अमरावती परिमंडल के जनसंपर्क अधिकारी फुलचंद राठोड ने बताया कि, नागरिकों का गुस्सा अपनी जगह पर काफी हद तक जाएज है. लेकिन सभी लोगों यह भी समझना चाहिए कि, महावितरण द्वारा अपने उपभोक्ताओं को 24 बाय 7 तत्पर सेवा देने हेतु तमाम प्रयास किए जाते है. कई बार ऐसी स्थितियां बन जाती है, जिनका समाधान खोजने में थोडा वक्त लगता है. ऐसे समय नागरिकों ने थोड संयम से काम लेना चाहिए. बारिश के मौसम दौरान बार-बार बत्ती गुल हो जाने की समस्या को लेकर महावितरण के पीआरओ राठोड ने बताया कि, अक्सर जब आसमान में जोरों की गडगडाहट के साथ आसमानी बिजली चमकती है, तब विद्युत पोल व रोहित्र पर लगे चीनी मिट्टी से बने डिस्क इंसूलेटर व पीन इंसूलेटर टूट जाते है. यदि किसी पोल पर लगा इंसूलेटर पूरी तरह टूटकर नीचे गिर जाए तब तो उसका पता लगाना आसान होता है, परंतु यदि इंसूलेटर में आई हलकी दरार की वजह से बिजली गुल हुई है, तो उस फॉल्ट को खोजने हेतु प्रत्येक पोल पर चढकर चेकिंग करनी होती है. जिसमें थोडा समय लगता है. इसके साथ ही राठोड ने यह भी कहा कि, विद्युत पोल व विद्युत वाहिनी के मेंटेनन्स का काम अपने-आप में सालभर चलनेवाली प्रक्रिया है. जिसकी ओर हमेशा ही पूरा ध्यान दिया जाता है. इसके अलावा कई बार ऐसा भी होता है कि, जंगल क्षेत्र से होकर आनेवाली सप्लाई लाईन पर कोई बडा पेड टूटकर गिर जाने की वजह से भी शहर की विद्युत आपूर्ति ठप हो जाती है. ऐसी प्रत्येक समस्या की ओर महावितरण द्वारा पूरा ध्यान दिया जाता है. अत: नागरिकों ने महावितरण के साथ पूरा सहयोग करना चाहिए.

Back to top button