कहीं क्राइम ब्रांच के काम में बाधा तो नहीं डाल रहा जेल प्रशासन?

जेल में मोबाइल मामले की जांच शुरु होते ही कैदियों के स्थलांतरण से उठा सवाल

* जिन कैदियों के पास से मोबाइल मिले, उन्हें अन्य जिलो की जेलो में क्यों किया शिफ्ट
* क्या जेल प्रशासन मामले में लिप्त अपने कुछ अधिकारियों को बचाने का कर रहा प्रयास
अमरावती/दि.11 – हाल ही में बेहद अति सुरक्षित मानी जाती अमरावती सेंट्रल जेल के और भी अधिक कडी सुरक्षा व्यवस्था वाली अंडासेल में रखे गए कैदियों के पास से एक के बाद एक मोबाइल फोन बरामद होने के मामले सामने आए थे और अंडासेल में रखे गए कैदियों के पास से हाई टेक्नीक वाले आयफोन व एंड्राइड फोन भी जब्त हुए थे. जिसके चलते अच्छा-खासा हडकंप भी मच गया था और मामले की गंभीरता को देखते हुए शहर पुलिस आयुक्त अरविंद चावरिया ने इसकी जांच का जिम्मा सीधे शहर पुलिस की अपराध शाखा को सौंपा था. जिसके बाद अपराध शाखा के मुखिया संदीप चव्हाण ने जेल पहुंचकर संबंधित कैदियों के बयान दर्ज करते हुए इस मामले की जांच-पडताल करनी शुरु की थी. लेकिन इसी बीच यह जानकारी सामने आई कि, जिन कैदियों के पास से मोबाइल फोन बरामद हुए थे, उन्हें अब अन्य जिलों के कारागारों में शिफ्ट किया जा रहा है. जिसके चलते खुद अमरावती सेंट्रल जेल का प्रशासन सवालों के घेरे में खडा नजर आ रहा है.
बता दें कि, अमुमन यदि जेल के भीतर बंद कैदियों अथवा कैदियों के गुटों के बीच किसी तरह की कोई मारपीट या झडप होती है, तो उस स्थिति में संभावित टकराव को टालने के लिए कैदियों को अलग-अलग जेलों में शिफ्ट कर दिया जाता है. परंतु इस समय अमरावती सेंट्रल जेल में ऐसी कोई स्थिति नहीं बनी थी, बल्कि जिन कैदियों के पास से मोबाइल फोन बरामद हुए थे, उन्हें अमरावती सेंट्रल जेल की ही अलग-अलग बैरकों में रखकर उनसे इस मामले को लेकर पूछताछ की जा सकती थी और इस पूरे मामले की तह तक जाने के लिए ऐसा ही करना बेहद जरुरी भी था. लेकिन हैरत की बात यह है कि, जैसे ही सीपी अरविंद चावरिया ने इस मामले की जांच का जिम्मा अपराध शाखा को सौंपा और पीआई संदीप चव्हाण ने सेंट्रल जेल पहुंचकर इस मामले की जांच-पडताल करनी शुरु की वैसे ही जेल प्रशासन ने संबंधित कैदियों को अमरावती सेंट्रल जेल से अलग-अलग जेलो में शिफ्ट करना शुरु कर दिया. ऐसे में अब सबसे बडा सवाल यह है कि, जिन कैदियों के पास से जेल में मोबाइल बरामद हुए थे, अगर वे कैदी ही उपलब्ध नहीं रहेंगे तो फिर अपराध शाखा की टीम जांच व पूछताछ किससे करेंगे.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, अमरावती सेंट्रल जेल में इससे पहले भी गांजे व अफीम जैसे मादक पदार्थों सहित गुटके व खर्रे की खेप बरामद की गई है, जाहीर है कि, जेल की सुरक्षा में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलिभगत के बिना जेल के भीतर ऐसी वस्तुएं नहीं पहुंच सकती. साथ ही बेहद सुरक्षित मानी जाती अमरावती सेंट्रल जेल के अति सुरक्षित अंडासेल तक मोबाइल फोन को हर हाल में किसी भितरी व्यक्ति के सहयोग के बिना पहुंचाया ही नहीं जा सकता. ऐसे में शहर पुलिस की अपराध शाखा द्वारा इस मामले की जांच शुरु किए जाने और हर काम को उसके अंजाम तक पहुंचाने के लिए विख्यात रहनेवाले पीआई संदीप चव्हाण द्वारा खुद इस मामले की कमान को अपने हाथ में लिए जाने के चलते यह स्पष्ट है कि, जेल में मोबाइल मिलने के मामले में लिप्त जेल के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की गाज गिरनेवाली है और इस पूरे मामले को लेकर जल्द ही कोई बडा खुलासा भी होनेवाला है. जिसके चलते यह आशंका जताई जा रही है कि, कहीं जेल प्रशासन के कुछ बडे अधिकारियों ने ही तो अपनी व अपने कुछ अधिनस्थों की चमडी व वर्दी बचाने के लिए कहीं मोबाइल मामले से वास्ता रखनेवाले कैदियों को अमरावती जेल से अन्य जिलों की जेलों में शिफ्ट तो नहीं कर दिया. क्योंकि जेल प्रशासन द्वारा उठाए गए इस कदम के चलते सीधे तौर पर अपराध शाखा द्वारा शुरु की जानेवाली जांच में ही बाधा पडनेवाली है.

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