मुंबई-पुणे पर सीम केवल नजर फेर दें, तो 50 हजार करोड जमा होंगे
पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने एक बार फिर महायुति सरकार पर साधा निशाना

* किसानों की कर्जमाफी हेतु पैसा नहीं रहने की बात पर कसा तंज
अमरावती/दि.30 – किसानों को देने के लिए यदि सरकार के पास पैसे नहीं है, तो सरकार ने हमसे राय लेनी चाहिए, क्योंकि हम सरकार को बता सकते है कि, पैसा कहां से मिल सकता है. यदि मुख्यमंत्री ने मुंबई व पुणे जैसे बडे शहरों पर केवल अपनी एक नजर ही घुमा दी तो राज्य सरकार की तिजोरी में 50 हजार करोड रुपए एक झटके में जमा हो जाएंगे. चूंकि बडे-बडे लोगों द्वारा कर अदा नहीं किया जाता है, तो ऐसे लोगों से कर की वसूली करते हुए सरकार ने जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए, इस आशय का प्रतिपादन करते हुए प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने राज्य की महायुति सरकार पर जमकर निशाना साधा है.
पूर्व मंत्री बच्चू कडू द्वारा कहा गया कि, सरकार द्वारा केवल ‘बनवा-बनवी’ का खेल खेला जा रहा है. जिसके तहत जिला प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को वस्तुस्थिति नहीं बताई जा रही है और नुकसान की रिपोर्ट भी समय पर नहीं भेजी जा रही है. यदि रिपोर्ट भेजने में ही विलंब होता है, तो उसे उपसमिति व मंत्रिमंडल के सामने कब रखा जाएगा तथा किसानों को मदद कब मिलेगी, यह अपने-आप में एक बडा सवाल है. इसके साथ ही सीएम फडणवीस द्वारा नियमों को परे रखते हुए सहायता देने के संदर्भ में किए गए वक्तव्य की खिल्ली उडाते हुए पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने कहा कि, इस सरकार ने वर्ष 2019 में भी 6 हजार 800 रुपए प्रति हेक्टेअर की मदद दी थी और आज भी 6 हजार 800 रुपए प्रति हेक्टेअर की ही मदद की जा रही है. जिसका सीधा मतलब है कि, सरकार नियमों में अटकी हुई है. जबकि इन 6-7 वर्षों के दौरान महंगाई आसमान छूने लगी है.
इसके साथ ही पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने कहा कि, सूखे अकाल की तरह गीला अकाल घोषित करने की हमारे यहां व्यवस्था नहीं है, परंतु यदि राज्य पर कोई नैसर्गिक संकट निर्माण हुआ है, तो ऐसे समय नियमों को परे रखते हुए सहायता देने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है. जिसके तहत अलग-अलग जिलो को आपदाग्रस्त घोषित करते हुए प्रभावितों को सहायता दी जा सकती है. लेकिन जाति-धर्म की राजनीति में किसान सबसे अंतिम पायदान पर खडा है. यही वजह है कि, बडे-बडे उद्योगपतियों के कर्ज को तत्काल माफ कर दिए जाते है. लेकिन किसानों को कर्जमाफी देने में टालमटोल की जाती है.





