कावड यात्रा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
विधायक सुलभा खोडके का प्रतिपादन

* सावन माह के पर्व पर आयोजित चिचफैल कावड यात्रा में पहुंची विधायक महोदया
* हर हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा परिसर
अमरावती /दि. 13– कावड यात्रा यह भवागन भोलेनाथ को समर्पित एक धार्मिक यात्रा है. यह यात्रा हर वर्ष सावन माह में आयोजित की जाती है. इस यात्रा के दौरान श्रध्दालू गंगा नदी से पवित्र जल लेकर शिव मंदिर में अर्पित करते है. इस यात्रा के दौरान श्रध्दालू जल कावड नामक लकडी अथवा धातू में रखकर उसे कंधे पर लेकर पैदल सफर करते है. पश्चात शिव मंदिर में भगवान शंकर की पिंड पर अर्पित करते है. कावड यात्रा यह शिवजी पर रही भक्ती और श्रध्दा का अविष्कार है. यह यात्रा एकता और सामुदायिक भावना जागृत करता है. इस यात्रा से शारीरिक और मानसिक शुध्दी होती है, ऐसा श्रध्दालूओं का विश्वास है. यह यात्रा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्व का हिस्सा है, ऐसा प्रतिपादन विधायक सुलभा संजय खोडके ने उपस्थितों को संबोधित करते हुए किया है.
सोमवार 11 अगस्त को अमरावती रेलवे स्टेशन से चिचफैल मार्ग परिसर स्थित मरिमाता कावड यात्रा समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम वह बोल रही थी. सर्वप्रथम सुलभा खोडके व यश खोडके के हाथों महादेव की प्रतिमा का वंदन , पूजन और माल्यार्पण कार्यक्रम किया गया. पश्चात शिवजी के त्रिशूल का कुमकूम तिलक से पूजन किया गया. साथ ही भगवान भोलेनाथ की सुलभा खोडके व यश खोडके के हाथो महाआरती की गई. पश्चात कावडियों को तिलक लगाया गया. इस अवसर पर भव्य पुष्पवर्षा की गई. पुष्पवर्षा व आतिशबाजी के बाद चिचफैल से कावड यात्रा की शुरूआत हुई. हर हर महादेव के जयघोष से परिसर गुंज उठा. यह कावड यात्रा गांधी नगर स्थित गणेश मंदिर पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया. सभी श्रध्दालूओं को फल व प्रसाद का वितरण किया गया. पश्चात राजकमल चौक मार्ग से होते हुए गडगडेश्वर मंदिर पहुंची. यहां भजन गितों के साथ कावड यात्रा का स्वागत किया गया. ओम नम: शिवाय, ओम नम: शिवाय, हर हर भोले नम: शिवाय की धुन पर कावड यात्रा का गडगडेश्वर मंदिर में समापन किया गया. कावड यात्रा में मरिमाता कावड यात्रा समिति के सभी सदस्य व पदाधिकारी तथा वरिष्ठ नागरिक, महिला-पुरूष, युवक- युवती बडी संख्या में शामिल हुए थे.





