खडसे ने खुद अपने बेटे को किया था खत्म!

गिरीश महाजन ने प्रफुल लोढा के पुराने दावे की दिलाई याद

* खडसे द्वारा लगाए गए आरोपों पर जमकर किया पलटवार
मुंबई/दि.22 – विगत कुछ दिनों से पूरे राज्य में हनी ट्रैप का मामला अच्छा-खासा चर्चा में है और इस मामले में प्रफुल लोढा नामक व्यक्ति का नाम सामने आने के बाद अच्छा-खासा हडकंप मच गया है. जिसे लेकर शरद पवार गुट वाली राकांपा के नेता व विधायक एकनाथ खडसे ने दावा किया था कि, महायुति सरकार में मंत्री रहनेवाले गिरीश महाजन व प्रफुल लोढा के बीच बेहद नजदिकी संबंध है. अत: इस मामले की एसआईटी जांच होनी चाहिए. वहीं अब खडसे द्वारा लगाए गए आरोप पर प्रत्युत्तर देते हुए मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि, खडसे शायद यह भूल गए कि, प्रफुल लोढा खुद खडसे का ही सबसे करीबी व्यक्ति रहा है और जिस समय एकनाथ खडसे के बेटे निखिल खडसे ने आत्महत्या की थी, तब इसी प्रफुल लोढा ने दावा किया था कि, खुद एकनाथ खडसे ने अपने बेटे की हत्या की है और प्रफुल लोढा ने निखिल खडसे के मृत्यु मामले की जांच किए जाने की मांग भी उठाई थी. इसके अलावा प्रफुल लोढा के साथ एकनाथ खडसे के कई फोटो भी उपलब्ध है. अत: दूसरों पर उंगली उठाने से पहले एकनाथ खडसे ने पहले अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए.
राकांपा नेता एकनाथ खडसे द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद मंत्री गिरीश महाजन ने पत्रवार्ता लेते हुए खुद पर लगे सभी आरोपो को खारिज किया. साथ ही कहा कि, खडसे अपने जीवन के हर क्षेत्र के असफल साबित हुए है और सत्ता से दूर हो जाने के बाद उन्होंने भाजपा में वापिस लौटने के लिए अच्छे-खासे प्रयास किए. लेकिन किसी ने भी उन्हें पार्टी में नहीं लिया. जिसके चलते अब खडसे द्वेषभावना से त्रस्त हो गए है और उनकी मानसिकता भी खराब हो गई है.
इस पत्रवार्ता के दौरान मंत्री गिरीश महाजन ने प्रफुल लोढा का एक पुराना वीडियो भी मीडिया के सामने रखा. जिसमें प्रफुल लोढा ने कहा था कि, उसके मित्र निखिल खडसे की आत्महत्या को लेकर उसे संदेह है. निखिल की व्यसनाधिनता के चलते एकनाथ खडसे की बदनामी हो रही थी. ऐसे में निखिल ने वाकई आत्महत्या की है या फिर उसके साथ खुद एकनाथ खडसे ने ही कुछ किया है, इसकी जांच होनी चाहिए. बता दें कि, एकनाथ खडसे के बेटे निखिल खडसे ने जलगांव जिले के मुक्ताई नगर स्थित अपने निवासस्थान पर 1 मई 2013 को अपनी लाईसेंसी पिस्तौल से अपने सिर पर गोली चलाकर आत्महत्या की थी. निखिल खडसे ने विधान परिषद का चुनाव लडा था, जिसमें वे हार गए थे. इसके उपरांत वे जिला परिषद के सदस्य थे, जिनकी मृत्यु के मामले की चर्चा अब 12 साल बाद एक बार फिर सुर्खीयो में है.

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