स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल स्मृति आदर्श शिक्षक पुरस्कार प्रारंभ
शिवाजी शिक्षा संस्था में शिक्षको हेतु नई परांपरा शुरु

* प्रति वर्ष दो आदर्श शिक्षकों का होगा सम्मान
अमरावती/दि.5 – अमरावती के शिक्षा क्षेत्र में अपने कार्यों की स्थायी तौर पर छाप छोडनेवाले तथा दैनिक अमरावती मंडल के संस्थापक संपादक स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल की स्मृति में प्रति वर्ष आदर्श पुरस्कार देने का प्रारंभ किया गया है. श्री शिवाजी शिक्षा संस्था की माध्यमिक शालाओं में प्रति वर्ष दो शिक्षकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. जिसके तहत कक्षा 5 वीं से 7 वीं तथा कक्षा 8 वीं से 10 वीं ऐसे दो विभागों से एक-एक शिक्षक का चयन किया जाएगा, जिन्हें शॉल-श्रीफल व नकद रकम का समावेश रहनेवाले पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इस पुरस्कार हेतु एक निश्चित धनराशि दान के तौर पर अग्रवाल परिवार द्वारा दैनिक अमरावती मंडल के प्रबंध संपादक अनिल अग्रवाल के मार्फत श्री शिवाजी शिक्षा संस्था को धनादेश के जरिए सुपूर्द की गई. इस दानराशि का धनादेश संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख को मातोश्री विमलाबाई देशमुख सभागार में आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया गया. इस अवसर पर संस्था की कार्यकारिणी ने संपादक अनिल अग्रवाल के प्रति आभार ज्ञापित किया.
इस समारोह में बतौर प्रमुख अतिथि संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते, विभागीय शिक्षा उपसंचालक निलिमा टाके, शिवाजी शिक्षा संस्था के उपाध्यक्ष गजानन पुंडकर व डॉ. जे. वि. पाटिल पुसदेकर, कोषाध्यक्ष दिलीपबाबू इंगोले, सचिव डॉ. वि. गो. ठाकरे सहित कार्यकारिणी के अन्य सदस्य व गणमान्य उपस्थित थे. ज्ञात रहे कि, श्री शिवाजी शिक्षा संस्था महाराष्ट्र में दूसरे क्रमांक की निजी शिक्षा संस्था है और समूचे विदर्भ में संस्था की 200 से अधिक माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शालाएं है. इन सभी शालाओं के शिक्षकों में से प्रति वर्ष दो शिक्षकों का चयन आदर्श शिक्षक के तौर अग्रवाल परिवार व संस्था की संयुक्त समिति द्वारा किया जाएगा. मनपा शाला में सेवा दे चुके एक शिक्षक की स्मृति में इस तरह का पुरस्कार शिवाजी शिक्षा संस्था के इतिहास में पहली बार प्रदान करने का प्रारंभ किया जा रहा है. जिसके चलते शिवाजी शिक्षा संस्था के शिक्षकों में उत्साह वाला वातावरण है. साथ ही संस्था चालकों द्वारा विश्वास जताया गया है कि, इस पुरस्कार के जरिए शिक्षकों में नई उर्जा व स्पर्धा का निर्माण होकर शैक्षणिक गुणवत्ता को भी गति मिलेगी.
* स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल का योगदान
मनपा शाला में शिक्षक रहे स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल ने शिक्षक के पेशे को केवल नौकरी न समझते हुए सेवा कार्य मानकर स्वीकार किया था और उन्होंने गरीबों व जरुरतमंदों के बच्चों को शिक्षा के प्रवाह में लाने हेतु आजीवन प्रयास किए. अपने घर में ही कई जरुरतमंद विद्यार्थियों को निशुल्क पढाने और उनके लिए भोजन की व्यवस्था करने जैसे कामों के चलते स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल पूरे शहर में आदर्श शिक्षक के तौर पर पहचाने जाते थे. मसानगंज शाला से मुख्याध्यापक के तौर पर सेवानिवृत्त होने के बाद भी स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल का कार्य अखंडित रुप से शुरु रहा. खास बात यह है कि, स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल ने उनकी पत्नी गिन्नीदेवी अग्रवाल की अधूरी पढाई को पूरा कराने के साथ ही उन्हें शिक्षिका भी बनाया था. उस समय उनका यह निर्णय तत्कालिन समाज के लिए काफी प्रेरणादायी साबित हुआ था. साथ ही उनके उल्लेखनीय कामों हेतु स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल को तत्कालिन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी के हाथों उत्कृष्ठ शिक्षक पुरस्कार भी प्रदान किया गया था.
* समाजकार्य व पत्रकारिता
स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल ने शिक्षा दान के साथ ही क्रांति सेवा दल, साईनाथ मंडल, भूतेश्वर महादेव मंदिर संस्था व अग्रवाल समाज जैसी कई संस्थाओं के जरिए सामाजिक क्षेत्र में भी अपना भरपूर योगदान दिया. उत्कृष्ठ वकृत्व, सुलेखन, फलक लेखन व चित्रकला के लिए भी स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल सर्वपरिचित थे. पत्रकारिता के क्षेत्र में योगदान देते हुए उन्होंने मनुज पत्रिका नामक साप्ताहित से अपनी यात्रा शुरु की और आगे चलकर अमरावती मंडल नामक दैनिक की स्थापना की. उन्होंने अपने लेखन के जरिए समाज के विविध विषयों पर विचार मीमांसा करनी शुरु की थी. स्व. जुगलकिशोरजी अग्रवाल द्वारा स्थापित मूल्याधारित परंपरा आज इस पुरस्कार के जरिए आगे बढ रही है. आदर्श शिक्षक पुरस्कार के चलते शिक्षकों में नई उर्जा व स्पर्धा निर्माण होकर शैक्षणिक गुणवत्ता का स्तर भी उंचा उठेगा, ऐसा विश्वास भी व्यक्त किया जा रहा है.





