वाघामाई के दर्शन हेतु आधी रात में आता है तेंदुआ
चांदुर रेलवे मार्ग पर घने जंगल के बीच स्थित है वाघामाता का मंदिर

अमरावती /दि.23 – समीपस्थ चांदुर रेलवे महामार्ग पर पोहरा बंदी गांव के निकट घने जंगल के बीच स्थित वाघामाता मंदिर को एक शक्ति स्थल माना जाता है. जहां पर माता रानी की मूर्ति किसी के द्वारा स्थापित नहीं की गई है, बल्कि यह मूर्ति जमीन से प्रकट हुई थी, ऐसा बडे बुजूर्गों का कहना है. साथ ही यह भी माना जाता है कि, पोहरा के घने जंगल में स्थित इस मंदिर में रोजाना आधी रात के आसपास एक तेंदुआ चक्कर लगाता है.
बता दें कि, यह जंगल परिसर 100 मीटर के आसपास है और यहां पर हमेशा ही वन्य प्राणियों का मुक्तसंचार रहता है. कई बार इस रास्ते से यात्रा करनेवाले लोगों का सामना जंगली श्वापदों से होता है. परंतु इस मार्ग से रोजाना आवाजाही करनेवाले लोगबाग वाघामाता के नाम का स्मरण करते हुए इस परिसर से होकर गुजरते है और मान्यता है कि, खुद वाघामाता ही उनकी रक्षा करती है. इस मंदिर में स्थापित देवी के चेहरे पर बेहद प्रसन्न भाव है, जो भक्तों को आत्मीक समाधान भी प्रदान करते है. साथ ही यह मान्यता भी है कि, वाघामाता के सामने मानी गई मन्नत पूरी भी होती है. इसके चलते यह मंदिर जागृत देवस्थान के तौर पर प्रसिद्ध हो रहा है. इस मंदिर में सालभर के दौरान दोनों नवरात्रौत्सव बडी धुमधाम के साथ मनाए जाते है तथा नवरात्रौत्सव में यहां पर भव्य अन्नदान का आयोजन भी किया जाता है. इस मंदिर का अब तक अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है, जिसके चलते इस संस्थान को सहायता की जरुरत है.
इस मंदिर में अब तक दानदाताओं के सहयोग से महादेव की पिंड, हनुमान मंदिर तथा गणपति व दुर्गा माता की मूर्ति स्थापित की गई है. साथ ही मंदिर परिसर में वन्य प्राणियों को पिने हेतु पानी की भी व्यवस्था की गई है. जिसके चलते इस मंदिर परिसर में पिने के पानी की तलाश करते हुए अक्सर ही वन्य प्राणी आते है.
* ऐसे पडा नाम
मान्यता है कि, इससे पहले पोहरा के घने जंगलों में रहनेवाला बाघ रोजाना ही इस मंदिर में आकर देवी की मूर्ति के समक्ष नतमस्तक हुआ करता था. जिसके चलते उसी बाघ के नाम पर इस मंदिर का नाम भी वाघामाता मंदिर पड गया. घने जंगल में स्थित वाघामाता अपने भक्तों की पुकार सुनती है और भक्तों द्वारा सच्चे दिल से मांगी गई मन्नत भी इस स्थान पर पूरी होती है, ऐसी भाविकों की श्रद्धा रहने के चलते वाघामाता मंदिर में हमेशा ही भाविक श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीडभाड रहती है.





