आक्रांताओं से लडने -भिडने के रूप में महाराष्ट्र- पंजाब की पहचान

हरनाम सिंह खालसा का प्रतिपादन

* नागपुर के नारा में भव्य दिव्य हिंद दी चादर श्री गुरू तेग बहादुर साहिब का 350 वां शहीदी समारोह
* केन्द्रीय मंत्री गडकरी, मुख्यमंत्री फडणवीस, पालकमंत्री बावनकुले सहित मान्यवरों की उपस्थिति, पगडी में फबे लीडर्स
नागपुर/ दि. 8 – भारत वह देश है. जिसने प्रत्येक विचारधारा का सम्मान किया है. प्रत्येक धर्म, जाति, पंथ को मान दिया है. उस पर मुगलों ने आक्रमण और अत्याचार किए. उनके आक्रमण का मुंहतोड जवाब देने में महाराष्ट्र और पंजाब प्रांत सदैव अग्रणी रहे हैं. अपितु इन्ही प्रांतों ने आंक्रांताओं से लडने-भिडनेवालों के रूप में खास पहचान बनाई है. यह प्रतिपादन संत ज्ञानी हरनाम सिंह जी ने रविवार को यहां नारा स्थित सुरेशचंद्र सूरी प्रांगण में आयोजित समारोह में किया. हिंद दी चादर श्री गुरू तेग बहादुर सिंह जी के 350 वें बलिदान दिवस उपलक्ष्य यह भव्य दिव्य समारोह आयोजित किया गया था.
इस समय मंच पर केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, मंत्री सर्वश्री गिरीश महाजन, माणिकराव कोकाटे, माधुरी मिसाल, पोहरा देवी के धर्म गुरू डॉ. बाबू सिंह महाराज, संत बाबा बलविंदर सिंह जी, बाबा सुखिंदरसिंग जी मान, रामसिंग जी महाराज, सुनील जी महाराज, क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष गुरमीतसिंग खोकर, विजय सतबीरसिंग, अखिल भारतीय धर्मजागरण प्रमुख शरद ढोल, महेंद्र रायचुरा, महापालिका आयुक्त डॉ. अभिजीत चौधरी, पुलिस आयुक्त रवीन्द्रकुमार सिंगल, जिलाधिकारी डॉ. विपिन इटनकर और इस समारोह के राज्यस्तरीय समन्वयक रामेश्वर नाइक व पदाधिकारी प्रमुखता से उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरूआत में मान्यवरों ने श्री गुरू तेगबहादुर साहिब जी को नमन करते हुए गुरू वंदन किया.
ज्ञानी हरनाम सिंह जी ने कहा कि धर्म पर हुए आक्रमणों को महाराष्ट्र तथा पंजाब ने प्रखरता से रोका. अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. किंतु धर्म का शीश न झुकने दिया. उनकी इस बात पर विशाल पंडाल में मौजूद हजारों लोगों ने न केवल तालियां बजाई बल्कि जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल सहित छत्रपति शिवाजी महाराज के और श्री गुरू तेग बहादुर जी के गगनभेदी जयकारे लगाए गये.
इस समय केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि मानवता और धर्म रक्षा के लिए श्री गुरू तेग बहादुर साहिब का योगदान अनमोल है. गुरू तेग बहादुर साहिब ने गीता में भगवान कृष्ण द्बारा दिए गये संदेश को जीवंत कर दिखाया और धर्म की खातिर बलिदान किया. 350 वर्ष पहले मुगलों का सीधा धर्म और संस्कृति पर हमला था. जिसे गुरू तेग बहादुर साहिब जी ने अपने प्राणों की आहुति देकर विफल किया. इसीलिए उन्हें हिंद दी चादर जैसा गौरवपूर्ण सम्मान दिया गया है.
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि भारत की संस्कृति और धर्म पर मुगलों ने आक्रमण के अनेक प्रयास किए. भारत की महान संस्कृति को नष्ट करने का मुगलों का प्रयास था. ऐसे में कश्मीरी पंडितों और हिन्दू धर्म की रक्षा की खातिर हिंद दी चादर गुरू तेग बहादुर साहिब जी आगे आए और उन्होेंने अपने प्राणों का उत्सर्ग कर धर्म की रक्षा की. स्वधर्म की रक्षा और संहिष्णुता के अनूठे प्रति साहिब जी का यह बलिदान का गौरवशाली इतिहास शालाओं के पाठ से प्रत्येक बच्चे तक पहुंचाए जाने की घोषणा भी मुख्यमंत्री ने इस समय की. उनकी घोषणा पर विशाल पंडाल करतल ध्वनि से गूंज उठा था. केन्द्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री तथा सभी मान्यवरों ने सिख समाज की पगडी सगर्व धारण की थी. सभी नेतागण पगडियों में बडे जंच रहे थे.
कार्यक्रम के प्रारंभ में गुरू श्री तेग बहादुर साहिब जी को सभी ने अभिवादन किया. गुरू ग्रंथ साहिब जी को भी सभी ने नमन किया. सीएम फडणवीस ने कहा कि सिकलीकर समाज ने सिख गुरू परंपरा के लिए शस्त्र बनाए. बंजारा समाज ने गुरूजनों के प्रति निष्ठा व्यक्त की. एक ओंकार सतनाम का सिध्दांत लेकर लंगर के माध्यम से विविधता में एकता का संदेश दिया गया. धर्म के लिए इतना बडा बलिदान विश्व में अन्य कोई नहीं है.
जुटे लाखों, गजब का अनुशासन
हिंद दी चादर समारोह के उपलक्ष्य में देशभर से लाखों समाज बंधु- भगिनी इस समय बडे उत्साह से सहभागी हुए थे. उसके बावजूद कार्यस्थल पर गजब का शिष्टाचार दिखाई दिया. कार्यक्रम को नागपुरवासियों ने अभूतपूर्व प्रतिसाद दिया और अद्भूत अनुशासन दिखाया. कार्यक्रम स्थल पर पार्किंग स्थल सुबह ही भर गये थे. पुलिस ने व्यवस्थित योजना, सुरक्षा व्यवस्था और स्थान- स्थान पर लगाए गये मोबाइल वैन सीसीटी टीवी से भीड का बिना किसी समस्या के प्रबंधन किया. पुलिस आयुक्त रवीन्द्र कुमार सिंगल के मार्गदर्शन में अधिकारियों ने अत्यंत शिष्ट व्यवहार से भीड को नियंत्रित किया. इस दौरान भक्तों के लिए चाय, पेयजल, बिस्किट, जूताघर, ई- रिक्शा सेवा, चिकित्सा सेवा और जन सहयोग से अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई. समूचे विदर्भ से सिख समाज, सिकलीगरि, सिंधी समाज, बंजारा और अन्य लोग लाखों की संख्या में उप राजधानी नागपुर पहुंचे थे. मान्यवरों को सभी ने चाव से सुना.

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