महाराष्ट्र

आर्थिक दुर्बल विद्यार्थियों को 50 फीसदी फीस लेकर एमबीबीएस में प्रवेश दें

उच्च न्यायालय का महाविद्यालय को आदेश

नागपुर/ दि.5– मराठा समाज के आर्थिक रुप से दुर्बल विद्यार्थियों को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ की ओर से बडा दिलासा दिया है. विद्यार्थियों से शुुरुआत में सिर्फ 50 फीसदी फीस लेकर एमबीबीएस में प्रवेश दिया जाए, ऐसा अंतरिम आदेश न्यायालय ने हिंगणा रोड स्थित लता मंगेशकर वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल को दिया है.
इस मामले में शुक्रवार को न्यायमूर्तिद्वय सुनील शुक्रे व अनिल पानसरे के समक्ष सुनवाई हुई. न्यायालय ने वैद्यकीय शिक्षा विभाग सचिव और अस्पताल के अधिष्ठाता को नोटिस देकर विद्यार्थियों की याचिका पर तीन हफ्ते में जवाब पेश करने के निर्देश दिए है. इस विद्यार्थी का नाम आदित्य भोसले है और यह इंझोरी तहसील के कारंजा, जिला वाशीम का रहनेवाला है. आदित्य ने एड. संतोष चांडे के मार्फत उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है.
आदित्य के परिवार की वर्ष 2020-21 की आर्थिक आय 35 हजार रुपए है. मानोरा के तहसीलदार ने उन्हें आय का दाखला भी दिया है. इसके अलावा राज्य सरकार ने उसे आर्थिक दुर्बल घटक का प्रमाणपत्र भी दिया है इसलिए सामान्य आर्थिक दुर्बल घटक से एमबीबीएस अभ्यासक्रम में प्रवेश पाने के लिए पात्र है. 3 मई 2018 में शासन नियमानुसार वैद्यकीय महाविद्यालय ने प्रवेश के समय उनसे 50 फीसदी शुल्क स्वीकार करना आवश्यक है ऐसा एड. वांडे ने सुनवाई के दरमियान न्यायालय को बताया. परिणामस्वरुप न्यायालय ने आदित्य को अंतरिम दिलासा दिया.
* महाविद्यालय ने मांगे 11 लाख रुपए
आदित्य ने यह बात स्पष्ट की है कि उसने वैद्यकीय महाविद्यालय में 50 फीसदी शुल्क के साथ प्रवेश देने की विनंती की थी. परंतु महाविद्यालय ने उसे 11 लाख 12 हजार 700 रुपये मांगे थे, वह इतनी बडी रकम देने में असर्थ होने से आखिरकार उसने न्यायालय में ुगुहार लगाई. उसे नीट परीक्षा में 720 में से 538 अंक प्राप्त हुए थे.

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