हिं.स./दि.२५ मुंबई-अपने अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए स्वेच्छा निवृत्ति योजना लागू करने का निर्णय एसटी महामंडल द्वारा लिया गया है और इस योजना के प्रस्ताव को शुक्रवार को हुई रापनि के संचालक मंडल की बैठक में मंजूरी दी गई. जिसके पश्चात ५० वर्ष से अधिक आयुवाले एसटी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए यह योजना लागू होगी. जिसके चलते एसटी के लगभग २८ हजार अधिकारी व कर्मचारी इस योजना का लाभ ले सकेंगे. वहीं दूसरी ओर एसटी के कामगार संगठनों द्वारा इस योजना का विरोध किया जा रहा है. बता दें कि, राज्य में लॉकडाउन घोषित होते ही एसटी सेवा भी बंद हो गयी है और एसटी की आर्थिक स्थिति डामाडौल होने लगी है. जिसके चलते एसटी के १ लाख कर्मचारियों को वेतन का भूगतान मिलना भी मुश्किल हो गया है और एसटी को सरकार की ओर से मिलनेवाली सहायता पर निर्भर रहना पड रहा है. ज्ञात रहे कि, एसटी में सर्वाधिक खर्च वेतन व डिजल पर होता है. जिसके चलते अब महामंडल द्वारा आर्थिक बचत व खर्च में कटोती हेतु अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए स्वेच्छानिवृत्ति योजना लागू करने का निर्णय लिया गया है. संचालक मंडल द्वारा मंजूरी दिये जाने के बाद अब इस प्रस्ताव को राज्य सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा और सरकार से मंजूरी मिलते ही इस योजना को लागू कर दिया जायेगा. इस आशय की जानकारी परिवहन आयुक्त व राज्य परिवहन निगम के व्यवस्थापकीय संचालक शेखर चन्ने ने दी है. जानकारी के मुताबिक रापनि को अपने कर्मचारियों के वेतन हेतु प्रतिमाह २९० करोड रूपये खर्च करने पडते है. ऐसे में इस योजना के तहत यदि अधिकांश पात्र कर्मचारी सेवानिवृत्ति लेते है तो रापनि के प्रतिमाह १०० करोड रूपये बचेंगे. वहीं इस योजना पर रापनि को करीब १४०० करोड रूपये खर्च करना पडेगा. एसटी के करीब २८ हजार कर्मचारी इस योजना के लिए पात्र है. जिन्हें प्रत्येक वर्ष के लिए तीन माह का वेतन (मूल वेतन व महंगाई भत्ता) दिया जायेगा. वहीं दूसरी ओर इस योजना का कर्मचारी संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है. कर्मचारी संगठनों के मुताबिक महामंडल का यह निर्णय कर्मचारियों के लिए अन्यायकारक है और इस प्रस्ताव को सरकार के पास भेजने से पहले कर्मचारी संगठनों के साथ चर्चा की जानी चाहिए थी. साथ ही कर्मचारी संगठनों का यह भी कहना है कि, अधिकारियों व कर्मचारियोें के साथ स्वेच्छानिवृत्ति हेतु किसी तरह की कोई सख्ती नहीं की जानी चाहिए, अन्यथा ऐसा किये जाने पर कर्मचारी संगठनों द्वारा तीव्र आंदोलन किया जायेगा. इसके साथ ही स्वेच्छा निवृत्ति लेनेवाले कर्मचारियों के एक वारिस को नौकरी देने के साथ ही उर्वरित सेवाकाल के लिए ५० प्रतिशत वेतन दिया जाना चाहिये, ऐसी मांग महाराष्ट्र स्टेट ट्रान्सपोर्ट कामगार संगठन के अध्यक्ष संदीप शिंदे ने की है. वहीं महाराष्ट्र एसटी कर्मचारी कांग्रेस के महासचिव श्रीरंग बर्गे ने कहा है कि, कुछ कर्मचारियों को स्वेच्छा निवृत्ति दिये बिना शेष कर्मचारियों के वेतन समय पर होना मुश्किल है. साथ ही उन्हें भविष्य में वेतन वृध्दि का लाभ भी नहीं मिलेगा.