महाराष्ट्र

टोकन नहीं तो दर्शन नहीं, मंदिर ट्रस्ट का अजब फैसला

नासिक में देवी के दर्शन के लिए 100 रुपए का टोकन

नाशिक/दी.२ – देश भर के बड़े-बड़े मंदिर ट्रस्ट की अमीरी के चर्चे तो आपने खूब सुने होंगे. भारत में तिरुपति और शिरडी के मंदिर ट्रस्ट के पास भक्तों के दान से आई संपत्ति और सोने-चांदी के आभूषण के बड़े भंडार की बात सुन कर आप चकित भी रह जाते होंगे. लेकिन आपने इन अमीर मंदिरों में भी कभी नहीं सुना होगा कि कोई गरीब अपने अराध्य का दर्शन नहीं कर सकता. बालाजी का द्वार और साईं के दर पर पैसे बहुत बरसे लेकिन इनके दरवाजे कभी पैसों के लिए बंद नहीं हुए. लेकिन यह खबर थोड़ी अलग है. नासिक की कुल देवी के रूप में पहचानी जानी वाली कालिका देवी के मंदिर प्रशासन  ने एक अजब निर्णय लिया है. इस निर्णय के अनुसार भक्तों के लिए अब टोकन लेना आवश्यक कर दिया गया है. इस टोकन के लिए अब 100 रुपए भरने पड़ेंगे. इसके लिए जो कारण बताए गए हैं, वो भी अजब हैं.

कोरोना काल में महाराष्ट्र के मंदिर बंद थे. लेकिन राज्य में कोरोना संक्रमण में आई कमी (Corona in Maharashtra) की वजह से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे  के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार ने मंदिर खोलने की अनुमति दे दी है. भक्त आगामी नवरात्रि को ध्यान में रखते आनंदित थे कि अचानक मंदिर ट्रस्ट ने 100 रुपए के टोकन लेकर ही दर्शन की अनुमति देने का निर्णय लिया. यानी जो भक्त 100 रुपए का टोकन नहीं ले पाएंगे वे देवी का दर्शन नहीं कर पाएंगे.

देवी के दर्शन के लिए दौलत दो, दर्शन तभी जब पास में 100 रुपए हो

नासिक के इस प्रसिद्ध मंदिर में कालिका देवी के दर्शन के लिए 100 रुपए का टोकन ऑनलाइन सिस्टम से मिलेगा. इसके लिए मंदिर प्रशासन की ओर से एक ख़ास सॉफ्टवेयर तैयार करवाया गया है. 100 रुपए भर कर ही दर्शन के लिए टोकन मिल सकेगा. मंदिर प्रशासन के इस निर्णय पर भक्तों ने आश्चर्य व्यक्त किया है.

कालिका मंदिर ट्रस्ट का अजब तर्क है, कैसे हो पूरा जो मंदिर चलाने का खर्च है

इस संबंध में कालिका देवी मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि,’ कोविड की वजह से पुलिस प्रशासन से चर्चा करके प्रशासन के नियमों के के पालन के लिए हमने टोकन पद्धति शुरू की है. टोकन टोकन के लिए सॉफ्टवेयर वगैरह का खर्च होता है. भक्तों के लिए सिक्योरिटी गार्ड रखना, साफ-सफाई रखना जैसे कामों में खर्च करना पड़ता है.’

मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि 24 घंटे मंदिर खुला रहेगा. एक घंटे में 60 भक्तों का मंदिर में प्रवेश हो सकता है. इससे ज्यादा भक्तों को देवी का दर्शन और प्रसाद, फूल, नारियल अर्पण की अनुमति नहीं दी जा सकती है. बता दें 2018 में भी मंदिर प्रशासन ने शुल्क लगाने का निर्णय लिया था. उस समय भी भक्तों का काफी विरोध हुआ था.

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