महाराष्ट्र

डिहाईड्रेशन से बचाने स्कूलों में बजे ‘वॉटर बेल’

देश में डिहाइड्रेशन से हर साल 10 हजार बच्चों की होती है मौत

मुंबई/दि.24– प्रदेश में भीषण गर्मी पड रही है. गर्मी से बच्चों में डिहाईड्रेशन की तकलीफ बढ रही है. इससे बचने के लिए बालरोग विशेषज्ञों ने कई सुझाव दिए है. इनमें से प्रमुख रुप से केरल, झारखंड, हरियाणा सहित देश के अन्य ुराज्यों की तर्ज पर महाराष्ट्र के स्कूलों में ‘वॉटर बेल’ शुरू करने पर जो दिया जा रहा है. इससे गर्मियों के दौरान बच्चे पर्याप्त पानी पी सकेंगे. उनके शरीर में पानी की कमी नहीं होती.
देश में डायरिया की बीमारी बच्चों की मौत का तीसरा सबसे प्रमुख कारण है. एक आकडे के मुताबिक पांच साल से कम आयु के बच्चों में डायरिया और उसके कारण होने वाले डिहाईड्रेशन से हर साल 10 हजार बच्चे दम तोड देते है. हालांकि डिहाईड्रेशन में शुरूआती उपचार ओआरएस का घोल बच्चों के लिए काी कारगर है. लेनिक सिर्फ 60 फीसदी बच्चों को ही डायरिया पर ओआरएस दिया जाता है. शेष 40 फीसदी बच्चे अभी भी इसकी पहुंच से दूर है. इसके पीछे की वजह अभिभावकों के बीच ओआरएस के इस्तेमाल के प्रति जागरुकता की कमी है. इसके प्रति जनजागृति लाने का कार्य हील फाउंडेशन कर रहा है. इसी के तहत मीडिया और रेडियो के जरिए अभिभावको को ओआरएस के इस्तेमाल के लिए जागरुक किया जा रहा है.

स्कूलों में वॉटर ब्रेक है जरुरी
पीडियाट्रिक गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. ललित वर्मा ने बताया कि देश में डिहाईड्रेशन से महाराष्ट्र के करीब दो हजार बच्चे मौत का शिकार हो जाते है. रोजाना उनकी ओपीडी में आनेवाले 20 फीसदी बच्चे पानी का कम इस्तेमाल करने वाले होते है. इसलिए महाराष्ट्र के स्कूलों में भी वॉटर ब्रेक होना चाहिए. राज्य सरकार को कम से कम प्रयोग के रुप में एक या दो शहर में इसे शुरू करना चाहिए. केरल सहित कई राज्यों में सिर्फ पानी पीने के लिए दो से तीन बार घंटी बजती है.

शुगर ड्रिंक से बचें
नानावटी अस्पताल के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. विभोर बोरकर ने कहा कि आमतौर पर डायरिया होने पर शुरूआत से ही ओआरएस पीने की सलाह दी जाती है. लेकिन अक्सर अभिभावक जानकारी के अभाव में ओआरएस की तरह दिखने वाले शुगर ड्रिंग का इस्तेमाल करते है. जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है. इससे डायरिया बढ जाता है.

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