बेमौसम बरसात की वजह से बर्बाद हुआ किसानों का प्याज
महाराष्ट्र की मंडियों में 1 रुपए में 1 किलो की दर से बिक रहा प्याज
मुंबई /दि.४–खेतों में खड़ी फसलों से लेकर कटी हुई फसलों तक बेमौसम बरसात की वजह से खराब हो गई हैं और इस वजह से किसान बर्बाद हो गए हैं. सही भाव के इंतज़ार में किसानों ने जो प्याज जमा कर के रखे थे, वे सब पानी में सड़-गल गए. जो बचे भी हैं वे भीग कर जम गए हैं. उनमें हरि पत्तियां निकल आई हैं. ऐसे प्याज की कीमत अब नहीं रही. इन्हें महाराष्ट्र की पंढरपुर बाजार समिति (Pandharpur Market) में एक रुपए प्रति किलो की दर में खरीदा जा रहा है. ऐसे में कई किसानों ने अपने प्याज को बेचने की बजाए पड़े-पड़े खराब होने के लिए छोड़ दिया है. सबसे अहम नगदी फसल के तौर पर पहचाने जाने वाले प्याज की अगर यह हालत है तो बाकी उपज की हालत क्या होगी, यह समझा जा सकता है.
पिछले कुछ दिनों से पंढरपुर बाजार समिति में प्याज का भाव 20 से 25 रुपए किलो चल रहा था. लेकिन कुछ किसानों ने आगे चलकर और अधिक दाम मिलने के लोभ में प्याज को जमा कर के रख लिया था. लेकिन बेमौसम बरसात ने सारा प्याज खराब कर दिया. अब हालत यह है कि जो किसान अपने प्याज को 20 से 25 रुपए किलो में बेचने को तैयार नहीं थे, उन्हें अब प्याज 1 रुपए किलो बेचना पड़ रहा है.
तब 20-25 रुपए किलो के भाव में नहीं बेचा, अब 1 रुपए किलो प्याज कैसे बेचे किसान?
प्याज का भाव कब चढ़ेगा और कब उतरेगा, इसका अनुमान लगाना कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे मौसम विभाग द्वारा यह अनुमान लगाना कि बारिश होगी या नहीं? होगी तो कब होगी? सोलापुर बाजार समिति में एक किसान ने 1123 किलो प्याज बेचा. बदले में उसे 1665 रुपए मिले. मजदूरी, ढुलाई वगैरह का खर्च देने के बाद उसके हाथ आए 13 रुपए. उसकी यह प्याज बिक्री की रसीद सोशल मीडिया में वायरल हो रही है.
प्याज को भी MSP के दायरे में लाने की उठ रही मांग
गर्मियों में प्याज की अच्छी खासी मांग थी. तब बाजार में खरीफ के मौसम का प्याज आने में वक्त बाकी था. तब प्याज का भाव 20 से 30 रुपए किलो तक मिल रहा था. लेकिन अब अचानक हुई बारिश से प्याज की फसल को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में फिलहाल तो किसानों को इस भीगे हुए प्याज का सही रेट नहीं मिल रहा है, आगे चलकर शहरी मध्यम और गरीब वर्ग के लोगों पर भी महंगाई का बोझ बढ़ेगा. फसल खराब होने की वजह से मार्केट में प्याज की आवक गिर जाएगी तो बाजार में प्याज का भाव एकदम से बढ़ेगा. एक तरफ बाजार की अनियमितता और दूसरी तरफ कुदरत का कहर, इन दोनों के असर से गांवों में किसान परेशान है, शहरों में गरीब और निम्न मध्यम वर्ग परेशान है. इस बीच प्याज के किसानों ने प्याज को भी एमएसपी के दायरे में लाने की मांग शुरू कर दी है.