महाराष्ट्र

मेलघाट में गर्भवती महिलाओं, बच्चों की मौत तथा कुपोषण के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने कहा

आदिवासियों के हित को बढावा देने में कोई कसर न छोडे राज्य सरकार

मुंबई ./दि.16- बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि, वह आदिवासियों के सर्वोत्तम हित को बढावा देने में कोई कसर न छोडे. इसके लिए हर संभव पहल करें. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायामूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने मेलघाट इलाके में गर्भवती महिलाओं व बच्चों की मौत तथा कुपोषण के मुद्दे को लेकर साल 2007 में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कहीं. इस मामले को लेकर गुरुवार को सुनवाई हुई थी. खंडपीठ का आदेश शुक्रवार को उपलब्ध हुआ है.
खंडपीठ ने कहा कि, आदिवासियों के हित के लिए जरुरी है कि, राज्य सरकार के संबंधित विभाग ने कहा कि, आदिवासियों के हित के लिए जरुरी है कि, राज्य सरकार के संबंधित विभाग आपस में समन्वय बना कर कार्य करें. आदिवासी इलाकों में सुधार को लेकर राज्य सरकार के पास जो सुझाव आए हैं, वह उन पर खुले मन से विचार करें. डॉक्टरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व वकीलों की ओर से पिछले दिनों दो दिन तक चली बैठक में सुझाव दिए गए हैं. खंडपीठ ने कहा कि, हमें अगली सुनवाई के दौरान बताया जाए कि सरकार को आदिवासी इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने को लेकर मिले कितने सुझावों को लागू किया गया है. इसकी जानकारी हमें हलफनामें के रुप में दी जाए. रिपोर्ट में स्पष्ट किया जाए कि, कौन से सुझावों को लागू कर पाना संभव नहीं है. खंडपीठ ने कहा कि, राज्य सरकार सुझावों को लागू करते समय मेलघाट के मुद्दे को लेकर आईपीएस अधिकारी छेरिंग दोरजे की ओर से दी गई रिपोर्ट पर भी विचार करें. खंडपीठ ने 11 अगस्त को इस मामले की सुनवाई रखी है.

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