शिवसेना में बडी बगावत, पार्टी दो-फाड होने की कगार पर
सरकार पर भी मंडरा रहा अस्थिरता का खतरा
* मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में दो दर्जन विधायक हुए पार्टी के खिलाफ
* सभी बागी विधायक बीती रात ही मुंबई से निकलकर सूरत पहुंचे
* सेना के बागियों के साथ भाजपा साध रही नजदीकी
* राज्य में तेजी से हो रहे राजनीतिक उलटफेर
* सत्तापक्ष ने भाजपा पर लगाया सरकार को अस्थिर करने का आरोप
मुंबई/दि.21– इस समय जहां एक ओर महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के परिणामों को लेकर भाजपा के खेमे में खुशी की लहर है, वहीं राज्य की सत्ताधारी महाविकास आघाडी में साफ तौर पर तनाव देखा जा रहा है, क्योंकि आघाडी ने पांच सीटों पर तो जीत दर्ज की, लेकिन छठवीं सीट पर जीत तय रहने के बावजूद आघाडी को हार का सामना करना पडा. वहीं यह तनाव उस समय और अधिक बढ गया, जब शिवसेना के वरिष्ठ नेता एवं आघाडी सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे अकस्मात ही अपने साथ करीब 22 से 25 शिवसेना विधायकों को लेकर मुंबई से निकलकर सूरत चले गये. जहां पर उन्होंने एक होटल में डेरा जमाया. साथ ही इन सभी विधायकों ने अपने-अपने मोबाईल फोन भी स्वीच ऑफ कर दिये. जिसके चलते वे ‘नॉट रिचेबल’ हो गये. सेना में अकस्मात हुई इस बगावत की खबर सामने आते ही बीती रात से ही राज्य में जबर्दस्त राजनीतिक हडकंप मच गया और सुबह होते-होते पूरे राज्य को इस बगावत का पता चल गया.
वहीं इस बगावत के चलते जहां एक ओर शिवसेना में दो-फाड हो जाने का खतरा पैदा हो गया है, वहीं शिवसेना के नेतृत्व में चल रही राज्य की महाविकास आघाडी सरकार भी काफी हद तक डावाडोल दिखाई दे रही है और शिवसेना सहित महाविकास आघाडी में शामिल कांग्रेस व राकांपा जैसे प्रमुख घटक दलों में अच्छा-खासा हडकंप मचा हुआ है. जिसके चलते तीनों ही दलों द्वारा अपने-अपने विधायकों व मंत्रियों की बैठकें बुलाई गई है, ताकि पार्टी और सरकार को बिखरने से रोका जा सके.
* सेना व सीएम से नाराज हैं एकनाथ शिंदे
शिवसेना में एक बड़ी बगावत की मुख्य वजह एकनाथ शिंदे की नाराजगी बताई जा रही है. विधान परिषद चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे और ठाकरे परिवार मेंअनबन की भी चर्चा थी. अब उद्धव ठाकरे ने पार्टी की आपात बैठक बुलाई है. इस बैठक को अहम माना जा रहा है.
* ऐसे पता चला शिंदे सहित विधायकों की गुमशुदगी का
सूरत के होटल में कई विधायकों के साथ रुके हैं एकनाथ शिंदे-सूत्र
सूत्रों के मुताबिक विधान परिषद चुनाव के बाद जब पार्टी में शिवसेना विधायकों के क्रॉस वोटिंग की खबर मिली, तो एक-एक विधायक से संपर्क किया जाने लगा. ऐसे में एकनाथ शिंदे से भी संपर्क किया गया, लेकिन उनका फोन नॉट रिचेबल था. इस बीच गुजरात से कुछ न्यूज चैनलों ने राजनीतिक सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी कि, एकनाथ शिंदे के साथ सूरत में 28 से ज्यादा विधायक मौजूद हैं. शिंदे रात डेढ़ बजे सूरत पहुंचे थे. उस वक्त उनके साथ कुछ विधायक थे. जबकि बाकी विधायक सुबह 8.30 बजे के बाद सूरत पहुंचे.
एकनाथ शिंदे के साथ ही प्रताप सरनाईक, तानाजी सावंत, शहाजी बापू पाटिल, शंभूराजे देसाई, संजय राठौड़ जैसे शिवसेना के महत्वपूर्ण नेताओं सहित पालघर के विधायक श्रीनिवास वनगा, अलिबाग के विधायक महेंद्र दलवी, भिवंडी ग्रामीण के विधायक शांताराम मोरे तथा विधायक अब्दुल सत्तार का फोन भी नॉट रिचेबल है. ऐसे में आज सुबह से ही शिवसेना में बड़ी बगावत की आशंका जताई जाने लगी.
* शरद पवार ने बुलाई एनसीपी की आपात बैठक
इस बीच राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने अपने आवास सिल्वर ओक पर पार्टी की आपात बैठक बुलाई है, जिसमें राकांपा के सभी नेताओं व मंत्रियों को तुरंत पहुंचने के लिए कहा गया. जिसके बाद आघाडी सरकार में मंत्री रहनेवाले छगन भुजबल नासिक में अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर मुंबई के लिए रवाना हो गए हैं.
इस बीच शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एकनाथ शिंदे को मनाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि ढाई साल में तीसरी बार सरकार गिराने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि दो ऐसे चुनावों में क्रॉस वोटिंग होती है, इसमें कोई नई बात नहीं है, हम इसका हल निकालेंगे. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि उद्धव अपनी पार्टी संभाल लेंगे.पवार के इस बयान को देखकर समझा जा सकता है कि महाराष्ट्र सरकार का संकट कितना बड़ा है.
* देवेंद्र फडणवीस दिल्ली रवाना
– भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चाओं का दौर शुरू
महाराष्ट्र में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आज सुबह दिल्ली के लिए निकले हैं. वे महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव और बाद के घटनाक्रम पर पार्टी नेताओं से चर्चा करेंगे.
कांग्रेसी मंत्रियों व विधायकों की भी हो रही बैठक
वहीं कांग्रेस नेता बालासाहेब थोरात ने भी दोपहर कांग्रेस विधायकों और नेताओं की बैठक बुलाई है.
* रूठे सेना विधायकों से मिलेंगे 2 दूत!
– मिलिंद नार्वेकर और रविंद्र फाटक को जिम्मेदारी सौंपी
इस बीच सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने रूठे शिवसैनिक एकनाथ शिंदे से बात करने और उन्हें मनाने के लिए मिलिंद नार्वेकर और रविंद्र फाटक को जिम्मेदारी सौंपी है. रविंद्र फाटक को शिंदे का करीबी माना जाता है और वह भी शिंदे की कर्मभूमि ठाणे से ही आते हैं.
* उद्धव की बैठक में पहुंचे सिर्फ 15 विधायक
इधर सेना विधायकों द्वारा की गई बगावत के चलते शिवसेना सहित महाविकास आघाडी में अच्छी-खासी बेचैनी का आलम है और शिवसेना के पार्टी प्रमुख एवं मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे द्वारा अपने सरकारी आवास पर शिवसेना के सभी मंत्री व विधायकों की बैठक बुलाई गई है. लेकिन वर्षा बंगले पर हो रही उद्धव ठाकरे की बैठक में शिवसेना के करीब 15 विधायक ही मौजूद हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बाकी के लगभग 40 विधायक कहां है.
बहुत पहले पड़ गए थे बगावत के बीज!
* उद्धव की एक ‘हां’ ने तोडा था शिंदे का सुनहरा ख्वाब
सेना नेता एकनाथ शिंदे और कुछ अन्य विधायकों के सूरत में होने की खबर आते ही साफ हो गया कि शिवसेना में बड़े पैमाने पर बगावत हो चुकी है. हालांकि एकनाथ शिंदे में बगावत के बीज आज नहीं पड़े हैं. दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान ’सामना’ को दिए एक इंटरव्यू में शिवसेना के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री एक शिवसैनिक ही बनेगा.उन्होंने कहा था कि मैंने बालासाहेब ठाकरे को वचन दिया था कि एक शिवसैनिक को महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी पर जरूर बैठाएंगे. उस समय शिवसेना की तरफ से शिंदे का नाम ही सीएम प्रत्याशी के तौर पर चल रहा था और उन्हें अधिकांश विधायकों का समर्थन भी हासिल था. चुनाव के बाद सीएम पद के मुद्दे पर शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूट गया. इसके बाद उद्धव ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर अगली सरकार बनाना तय किया. जब सीएम का पद शिवसेना के हिस्से में आया, तो अधिकांश लोगों का मानना था कि शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. हालांकि, शिंदे का सुनहरा ख्वाब तब चकनाचूर हो गया, जब उद्धव ने खुद ही मुख्यमंत्री बनने के लिए हामी भर दी. एक तरह से कहा जाए तो शिंदे के सिर पर सूबे के सीएम का ताज आते-आते फिसल गया. माना जाता है कि तभी से शिंदे के मन में बगावत के बीज पड़ गए थे, जो 2022 आते-आते वटवृक्ष बन गया.
* लंबे समय से साइडलाइन भी किए जा रहे थे
पता चला है कि, भले ही एकनाथ शिंदे को उद्धव की सरकार में मंत्री बनाया गया, लेकिन वह अपने विभाग से जुड़े फैसले भी आजादी से नहीं ले पा रहे थे. बताया जा रहा है कि उन्हें शिवसेना में धीरे-धीरे साइडलाइन किया जा रहा था, ऐसे में शिंदे के ऑप्शन सीमित होते जा रहे थे. हालांकि उद्धव को भी शायद अंदाजा नहीं रहा होगा कि शिंदे के साथ इतने सारे विधायक जा सकते हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें मनाने की कोशिशें तो होंगी ही.अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में सूबे का सियासी ऊंट किस करवट बैठता है.
* काफी पहले ही हो गई थी बगावत की तैयारी
– शिंदे ने चार दिन पूर्व ही निजी स्टाफ को भेजा था छुट्टी पर
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एमएलसी चुनाव से पहले शिंदे ने जब बगावत का खाका तैयार कर लिया, जिसके बाद 4 दिन पहले ही उन्होंने अपने निजी स्टाफ को छुट्टी पर भेज दिया. पिछले 4 दिन से एकनाथ शिंदे के निजी स्टाफ छुट्टी पर थे. इस दौरान शिंदे कहां जा रहे हैं और किससे मिल रहे हैं, इसकी भनक किसी को नहीं लगी. शिंदे के दफ्तर में मीडिया का प्रभार देखने वाले एक सचिव ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि 4 दिन पहले ठाणे स्थित आवास से सभी निजी स्टाफ को छुट्टी दे दी गयी थी. इस दौरान एकनाथ शिंदे सभी विधायकों को एकजुट करने की रणनीति बनाने के बाद उसे अमलीजामा पहनाने में लगे थे.
* कल रात में ही सूरत के लिए निकल गए थे शिंदे
जानकारी के मुताबिक मंत्री एकनाथ शिंदे अपने समर्थक विधायकों के साथ कल रात ही मुंबई से सूरत के लिए निकल गए थे. बता दें कि, मुम्बई से सूरत की दूरी लगभग 290 किलोमीटर के आसपास है और करीबन साढ़े 5 से 6 घण्टे का रास्ता है. ऐसे में शिंदे आधी रात को मुंबई से निकलकर सूरत पहुंच गए. शिंदे और उनके समर्थकों के लिए सूरत को एक सेफ पैसेज कहा जा सकता है, क्योंकि इस समय गुजरात में भाजपा की सरकार है.
* राज्य के कद्दावर नेता व सेना के ताकतवर नेता है शिंदे
चूंकि ठाकरे परिवार में कभी कोई किसी संविधानिक पद पर नहीं रहा. ऐसे में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के समय से ही यह सुगबुगाहट रही कि शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे सबसे बड़ा चेहरा थे और उनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में मीडिया में चलता रहा. इससे उनके कद का पता चलता है, वहीं इससे पहले पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में जब बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार थी, उस समय भी एकनाथ शिंदे शिवसेना की तरफ से सबसे ताकतवर मंत्री थे. शिंदे को बीजेपी का करीबी भी कहा जाता रहा है. लेकिन शिंदे ने कभी अपने पत्ते नहीं खोले. महाविकास अघाड़ी सरकार बनने के बाद शिंदे की नाराजगी दूर करने के लिए उन्हें पीडब्ल्यूडी जैसे अहम मंत्रालय भी दिया गया. पर शायद उनके मन में सीएम पद हाथ में आते-आते फिसल जाने की फांस बनी रहीं.
* बेटे श्रीकांत को राजनीति में सुरक्षित करना चाहते हैं एकनाथ
पता चला है कि, अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को राजनीति में सुरक्षित करना भी एकनाथ शिंदे की जरूरत बताई जा रही है. श्रीकांत शिंदे कल्याण लोकसभा सीट से सांसद हैं. इस बीच बीजेपी भी कल्याण लोकसभा सीट पर अगले चुनाव की रणनीति में जुट गई है. सूत्रों की माने तो मनसे नेता राजू पाटिल सहित कई ऐसे नेता थे, जिनकी कल्याण में सांसद श्रीकांत शिंदे से ज्यादा पैठ रही है. माना जा रहा है कि श्रीकांत शिंदे के राजनीतिक भविष्य को देखते हुए एकनाथ शिंदे ने यह दांव खेला है.
*भाजपा ने दिया डिप्टी सीएम का ऑफर
-अलग गुट बना सकते हैं एकनाथ शिंदे
सूत्रों के मुताबिक उद्धव सरकार के मंत्री और बगावत की अगुवाई कर रहे एकनाथ शिंदे को भाजपा की ओर से डिप्टी सीएम पद ऑफर दिया गया है. माना जा रहा है कि शिंदे शिवसेना से अलग होकर अलग गुट बना सकते हैं. क्योंकि इस समय एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 34 विधायक बताये जा रहे है. साथ ही उन्हें एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी प्राप्त है.
* सभी विधायकों के मोबाईल फोन हैं बंद
जानकारी के मुताबिक एकनाथ शिंदे ने सभी विधायकों को अपना फ़ोन बन्द रखने की भी हिदायत दी थी. जो विधायक इस वक़्त शिन्दे के साथ गुजरात के सूरत स्थित होटल में रूके हुए हैं. उनका सभी का निजी फोन बन्द है. यानी कि ऐसी कारगर नीति बनाई गई है, ताकि कोई भी विधायक पाला न बदल सके और किसी नेता के संपर्क में न आ सके.
केंद्रीय मंत्री राणे ने ट्वीट कर दी शाबाशी
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने ट्वीट कर एकनाथ शिंदे को शाबाशी दी उन्होंने ट्वीट में लिखा-’शाबाश एकनाथ शिंदे.. सही समय पर सही निर्णय लिया.. नही तो तुम्हारा भी आनंद दिघे हो जाता..’ बता दें कि बालासाहेब ठाकरे के समय आनंद दिघे शिवसेना के बड़े नेता थे, जो बालासाहेब को सीधी टक्कर देते थे. लेकिन मौत संदेहास्पद परिस्थिति में हो गयी थी.
* राज्यसभा चुनाव के बाद बड़ा झटका
राज्यसभा चुनाव के बाद, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन महाविकास आघाड़ी (एमवीए) को भाजपा की ओर से महाराष्ट्र में मिला यह दूसरा बड़ा झटका है. एमवीए में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल है.
* हमारे विधायकों का जबरन किया गया है अपहरण
– छूटने का प्रयास करनेवालों को जान का खतरा
– सांसद संजय राउत का कथन
इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच शिवसेना के प्रवक्ता व सांसद संजय राउत ने कहा कि, सेना के विधायकों का जबरन अपहरण करते हुए उन्हेें सूरत ले जाया गया है और वहां पर सभी को डरा-धमकाकर रखा गया है. इसके साथ ही सेना के जो विधायक सूरत स्थित होटल से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे है, उन पर जानलेवा हमला तक किया गया है.
गुजरात में सूरत से गांधीनगर व अहमदाबाद तक राजनीतिक उठापटक
– 7 चार्टर प्लेन व 22 फार्च्यूनर गाडियां हैं तैनात
इसी बीच राजनीतिक सूत्रों से मिल रही जानकारियों के मुताबिक महाराष्ट्र के सेना विधायकों के सूरत पहुंचने के बाद भाजपा शासित गुजरात में सूरत से लेकर गांधी नगर व अहमदाबाद तक राजनीति सरगर्मी का दौर तेज हो गया है तथा इन विधायकों को कडी पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराने के साथ-साथ उनके लिए 7 चार्टर हवाई जहाज तथा 22 फार्च्यूनर गाडियां भी तैनात रखे गये है, ताकि उन्हें समय पडने पर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जा सके. वहीं पूरी उम्मीद है कि, आज रात तक इन सभी विधायकों को गुजरात से निकालते हुए राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली पहुंचा दिया जायेगा.