महाराष्ट्र

10 हजार करोड के प्लास्टिक उद्योग पर संकट

विदर्भ में पडोसी राज्यों के मुकाबले बिजली दर अधिक

* कच्चे माल की कीमतें भी बढी
नागपुर /दि.3– छोटे और मंझौले उद्योगों को बढावा देने की केंद्र सरकार की नीति रही है. बावजूद उसके विदर्भ में बिजली की कीमतें 10 हजार करोड के प्लास्टिक उद्योग को संकट में डाल रही है. पडोसी छत्तीसगढ और मध्य प्रदेश सहित राज्यों में विदर्भ की तुलना में प्रति यूनिट बिजली की दरें 3-4 रुपए सस्ती होने से बडा फर्क होने की शिकायत उद्यमियों ने की है.

* बिजली सस्ती, कडी प्रतिस्पर्धा
विदर्भ प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसो. के अध्यक्ष नीलेश अग्रवाल ने बताया कि, छत्तीसगढ और अन्य प्रांतो की तुलना में विदर्भ में प्रति यूनिट 3 रुपए से अधिक का फर्क है. जिससे वहां के उद्यमी सस्ती बिजली के आधार पर सस्ता प्रोडक्ट बनाकर मार्केट में कडी प्रतिस्पर्धा पेश कर रहे है. अग्रवाल ने कहा कि, अन्य उद्योगों के समान राज्य सरकार ने विशेष प्रोत्साहन नीति प्लास्टिक उद्योग के लिए भी बनानी चाहिए.

* क्लस्टर करें विकसित
अग्रवाल ने कहा कि, मध्यम और लघु उद्योग में प्लास्टिक उद्यम का स्थान अलग है. विदर्भ में प्लास्टिक कारखानों का कारोबार 10 हजार करोड से अधिक है. इन कारखानों में हजारों लोगों को जॉब मिली है. सरकार को प्लास्टिक उद्यम के लिए अलग क्लस्टर विकसित करने की मांग उन्होंने रखी.

* 350 कारखाने
उल्लेखनीय है कि, विदर्भ में बूटी बोरी से लेकर अकोला तक प्लास्टिक सामान बनाने के 350 से अधिका कारखाने है. जिनमें 30 बडे, 50 मध्यम और शेष छोटे व सूक्ष्म उद्योग है. सरकार द्वारा बिजली दर कम न करने एवं पर्यावरण नीति के कारण कई इकाईयां बंद होने की कगार पर है. कुछ इकाईयां बंद पड गई है.

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