मुंबई/दि.24 – कक्षा दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थी एक तरफ बोर्ड की परीक्षा की तैयारी में जुटे रहते है. दूसरे तरफ यह परीक्षा किस तरह ली जाए, यह मुद्दा फिर एक बार सताने लगा. इस बारे में सीधे सर्वोच्च न्यायालय तक कुछ पालकों और विद्यार्थियों ने दौड लगाई. इस बारे में याचिका दायर की गई. याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में एकत्रित सुनवाई लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया. सीबीएसई, आईसीएसई, महाराष्ट्र बोर्ड, राजस्थान बोर्ड और अन्य राज्य में बोर्ड की परीक्षा के लिए ऑफ लाइन परीक्षा लेने का फैसला महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
कोरोना की सुधरी परिस्थिति में दसवीं और बारहवीं की परीक्षा ऑफलाइन लेने का निर्णय सीबीएसई, सीआईएससीई और अन्य राज्य के बोर्ड ने लिया था, मगर उसपर भी पालक और विद्यार्थी संंगठना ने आक्षेप लिया. यह परीक्षा ऑनलाइन ही ली जाए, ऐसी मांग की गई थी. उस बारे में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई लेने के बाद फैसला सुनाया गया.
सर्वोच्च न्यायालय ने यह सभी याचिकाएं खारीज कर दी और दसवीं व बारहवीं की परीक्षा ऑफलाइन याने प्रत्यक्ष परीक्षा केंद्र में जाकर ली जाएगी, ऐसा फैसला अदालत ने सुनाते हुए स्पष्ट किया. इसके कारण यह परीक्षा अब ऑफलाइन ही होगी, इसपर मुहर लग गई है.यह फैसला सुनाते हुए अदालत ने संबंधित याचिकाकर्ताओं को कडे शब्दों में फटकार लगाई. इन याचिकाओं का कोई भी आधार नहीं. इससे पहले कोरोना की जैसी स्थिति थी अब वैसी स्थिति नहीं बची. इस तरह की याचिका विद्यार्थी और पालकों में बेवजह भ्रम निर्माण कर रही है. इस बारे में प्रशासन को उचित निर्णय लेने दें, तुम्हे चाहिए तो इस फैसले को भी तुम चुनौती दे सकते है, ऐसा न्यायमूर्ति खानविलकर ने फैसला सुनाते समय कहा.