तहसील स्तर की 11 एमआईडीसी केवल नाममात्र

416 भूखंडों में मात्र 63 भूखंडों पर कागजों में उद्योग

* अचलपुर, चांदुर रेलवे, वरुड, नांदगांव खंडेश्वर में सर्वाधिक प्लॉट
अमरावती /दि.27- अमरावती की पांचसितारा एमआईडीसी में उद्योगों की कमी के समान ही तहसीलस्तरीय 11 एमआईडीसी भी बुरे हाल में ही हैं, इसके चलते तहसीलों में भी एमआईडीसी होने के बावजूद ग्रामीण भागों के युवकों को नौकरी के लिए अन्य शहरों की तरफ दौडना पडता है. दिलचस्प है कि, 80 और 90 के दशक में बनाई गई यह एमआईडीसी सिर्फ खानापूर्ति ही कर रही है. इसके चलते बेरोजगारी दूर करने की आवाज उठाने वाले जनप्रतिनिधि व महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल इस संबंध में क्या कर रहे हैं, यह एक ज्वलंत प्रश्न निर्माण हो गया है.
जिलास्तर पर उद्योजकों ने जगह तो हासिल कर ली लेकिन उद्योग शुरु नहीं किए है. परिणामस्वरुप वास्तविकता यह है कि ये उद्योग कागजों पर ही होने से रोजगार नहीं उपलब्ध हो सका है. इससे भी अधिक भयावह स्थिति तहसील स्तर की एमआईडीसी में दिखाई दे रही है. ग्रामीण क्षेत्र में उद्योगों को गति मिले इसके लिए महाराष्ट्र सरकार की तरफ से योजनाएं चलाई गई. लेकिन यह योजना भी फाईलों में धूल खा रही है. 80 से 90 के दशक में 11 तहसीलों में बनाई गई इन एमआईडीसी में 416 भूखंड काटे गए, इनमें से सिर्फ 63 भूखंडों पर ही उत्पादन शुरु होने की जानकारी है. प्रत्यक्ष में आंकडा हाथों की अंगुलियों पर गिना जाए, इतना ही दिख रहा है. 35-40 वर्ष बाद भी उद्योग शुरु नहीं किए जा सके हैं, ऐसे में युवकों को रोजगार कहां से प्राप्त होगा. फलस्वरुप जिले के युवक बडे पैमाने पर मुंबई, पुणे व बंगलुरु की तरफ जा रहे है.

* 25 वर्षों से भातकुली में 6 भूखंड खाली पडे है
भातकुली व नांदगांव खंडेश्वर एमआईडीसी की स्थापना 1989 में की गई थी और यहां पर पहला उद्योग भी शुरु हुआ था, परंतु इसके बाद इस एमआईडीसी पर किसकी वक्र दृष्टि पडी कि, यहां के सभी भूखंड अधिग्रहित कर लिए गए. परंतु उद्योग एक भी भूखंड पर शुरु नहीं किया जा सका. 16 भूखंड में से 11 भूखंडों की समयावधि समाप्त हो चुकी है. इसके बावजूद जब्ती की कार्यवाही नहीं की गई है. 2 जगहों पर उद्योग शुरु किए जाना दर्शाया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि, इस जगहों पर भी उद्योग शुरु नहीं किया गया है. वहीं दूसरी तरफ नांदगांव खंडेश्वर एमआईडीसी में 38 भूखंड है लेकिन दुखद बात यह है कि, यहां पर सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से एक भी उद्योग शुरु नहीं हो सका है.

* एमआईडीसी कागजों पर कैसे मिलेगा रोजगार
ग्रामीण क्षेत्रों के युवकों को रोजगार के लिए भटकना पडता है. समय पडने पर उन्हें अपना घर और जिला भी नौकरी के लिए छोडना पडता है. इनके लिए सरकार ने एमआईडीसी का विकास करने के लिए दर्जनभर से अधिक योजनाएं बनाई परंतु ये योजनाएं एमआईडीसी तक पहुंची ही नहीं या फिर महामंडल ने उद्योजकों तक ये योजनाएं पहुंचाई नहीं, यह भी एक सवाल खडा हुआ है. इसके चलते एमआईडीसी का विकास कागजों पर ही होने से जिले के युवकों के समझ रोजगार का बडा सवाल खडा हो गया है.

* अचलपुर में सिर्फ 9 उद्योग
अचलपुर तहसील की एमआईडीसी सबसे बडी एमआईडीसी है और यहां पर 107 भूखंड बनाए गए थे. इनमें से सिर्फ 9 भूखंडों पर उद्योग शुरु हैं और 78 भूखंड विकास के लिए गए. हालांकि अभी तक इन भूखंडों पर उद्योग शुरु नहीं किए जा सके है. यह देखकर ऐसा कहने में कोई दोराय नहीं है कि, मोर्शी, वरुड, धारणी, दर्यापुर तहसील में भी एमआईडीसी है और यहां पर उद्योग के नाम पर सिर्फ जमीन पर कब्जा करने का कार्य किया गया है.

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