महाराष्ट्र

कोरोना काल के १६५ दिनों में आयएएस के ११७ तबादले

परदेसी व मुंढे का ट्रान्सफर रहा चर्चा में

  • एक ही अधिकारी के हुए तीन-तीन ट्रान्सफर

मुंबई/दि.२२ – महाविकास आघाडी सरकार ने कोरोना की महामारीवाले दौर में भी आयएएस अधिकारियों के तबादलों का ‘सपाटा‘ लगा रखा है, ऐसी जानकारी सामने आयी है. जिसके मुताबिक विगत ७ अप्रैल से १८ सितंबर तक १६५ दिनों में आयएएस अधिकारियों के ११७ ट्रान्सफर ऑर्डर जारी किये गये. मार्च माह से समूचे महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति गंभीर होती जा रही है. वहीं दूसरी ओर इसी दौरान ७ अप्रैल से आयएएस अधिकारियों के तबादले का सिलसिला शुरू किया, जो १८ सितंबर तक जारी रहा. इसमें भी इस दौरान किसी एक ही अधिकारी के दो अथवा तीन बार तबादले करने का उदाहरण सामने आया है. जिसमें मुंबई मनपा के आयुक्त प्रवीणqसह परदेसी तथा नागपुर मनपा के आयुक्त तुकाराम मुंढे जैसे अधिकारियों के तबादले बेहद चर्चा का विषय रहे. उल्लेखनीय है कि, लॉकडाउन में सरकार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहने की वजह को आगे कर राज्य सरकार की सेवा में रहनेवाले अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादलों को पहले एक साल की स्थगिती दी गई. लेकिन बाद में इस स्थगिती को हटाकर १५ प्रतिशत तबादलों को अनुमति दी गई. हालांकि आयएएस अधिकारियों के तबादलों पर किसी भी तरह की स्थगिती नहीं दी गई. यह अपने आप में हकीकत है. लेकिन कोरोना संकटकाल के दौरान प्रशासकीय व्यवस्था का प्रमुख रहनेवाले आयएएस अधिकारियों की इतने बडे पैमाने पर तबादले ्नयोें किये गये, यह अपने आप में एक बडा सवाल है. साथ ही पता चला है कि, इतने बडे पैमाने पर तबादले करने के बावजूद भी अब तक लगभग डेढ दर्जन से अधिक अधिकारी नई नियुक्ती की प्रतिक्षा कर रहे है और करीब ६ अधिकारी अपनी पोस्टींग बदलने के लिए प्रयास कर रहे है. ज्ञात रहे कि, नागपुर मनपा के आयुक्त तुकाराम मुंढे को मंत्रालय के जलापूर्ति व स्वच्छता विभाग में ट्रान्सफर किया गया था. जिसे ऐन समय पर रद्द कर दिया गया और अब वे नई नियुक्ती की प्रतिक्षा कर रहे है. इसी तरह विनिता वेद qसगल इससे पहले फिल्म सिटी के संचालक पद पर थी. जिनका तबादला आदिवासी विकास विभाग के सचिव पद पर किया गया और तीन माह के भीतर ही उनका ट्रान्सफर कामगार सचिव के पद पर कर दिया गया. वहीं उस्मानाबाद के जिलाधीश पद पर कार्यरत रहनेवाली दीपा मुधोल (मुंडे) को पहले लातूर मनपा के आयुक्त के तौर पर स्थलांतरित किया गया, लेकिन तुरंत ही उन्हें मंत्रालय में नई नियुक्ती दी गई और इसके तुरंत बाद ही उन्हें सिडको (औरंगाबाद) के प्रशासक पद का जिम्मा संभालने हेतु कहा गया. इसी तरह किशोरराजे qनबालकर का तबादला सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के सचिव के तौर पर किया गया और दो ही दिन में इस आदेश को रद्द कर उन्हेें राहत व पुनर्वसन विभाग में कायम रखा गया. इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक पद पर कार्यरत रहनेवाले अनुपकुमार यादव का तबादला करते हुए उन्हें २३ जुलाई को विशेष विक्रीकर आयुक्त के पद पर भेजा गया और १३ अगस्त को उनका तबादला आदिवासी विकास विभाग के सचिव पद पर कर दिया गया. इसी तरह चंद्रपुर के जिलाधीश पद से कुणाल खेमनार का तबादला हाफकीन के संचालक पद पर किया गया था. लेकिन तीन दिन के भीतर ही उन्हें पुणे मनपा में अतिरिक्त आयुक्त पद पर भेजा गया. इसके साथ ही पुणे में मनपा आयुक्त सहित अन्य कई अधिकारियों के तबादले किये गये है.

मंत्रियों को चाहिए होते है अपनी मर्जीवाले अधिकारी
उल्लेखनीय है कि, हर सरकार में मंत्रियों को अपनी मर्जी और पसंद के हिसाब से अधिकारी चाहिए होते है. राज्य में मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार ऐसे प्रशासन में दो सत्ता स्थान रहने, राज्य में तीन दलों की सरकार रहने, क्रीम पोस्टींग के लिए अधिकारियों द्वारा किये जाते प्रयास एक ही शहर के दो अथवा तीन आयएएस अधिकारियोें (जिलाधीश व मनपा आयुक्त, आदि) मेें विसंवाद रहने को भी इन तबादलों का प्रमुख कारण माना जा सकता है. राज्य की पूर्ववर्ती देवेंद्र फडणवीस सरकार के कार्यकाल में भी आयएएस अधिकारियों के बडे पैमाने पर तबादले हुए थे, लेकिन राज्य की मौजूदा महाविकास आघाडी सरकार ने इस मामले में फडणवीस सरकार को भी काफी पीछे छोड दिया है.

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