965.65 करोड रूपयों से राज्य के 12 प्रमुख बांधों को सुधारा जायेगा
केंद्र के जलशक्ति मंत्रालय ने किया नियोेजन
* विश्व बैंक से मिलेंगे 624 करोड, राज्य करेगा 341 करोड की व्यवस्था
मुंबई/दि.29– भविष्य में जलकिल्लत की समस्या को टालने हेतु बांधों की पुर्नस्थापना व सुधार के ि लिए केंद्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय द्वारा ड्रीप प्रकल्प को विशेष प्राधान्य दिया जा रहा है. जिसमें महाराष्ट्र के काफी पुराने हो चुके 12 प्रमुख बांधों का भी समावेश है. ऐसे में ये सभी प्रमुख बांध पूरी तरह सुरक्षित होने के साथ ही सुस्थिति में आयेंगे और उनकी कार्यक्षमता बढकर बांधों से संबंधित सभी घटकों का मजबूतीकरण होगा. इस कार्य के लिए करीब 965.65 करोड रूपयों का प्रावधान किया गया है. जिसमें से 70 फीसद यानी 624 करोड रूपये विश्व बैंक से कर्ज के तौर पर उपलब्ध हो गये है. वहीं शेष 30 फीसद यानी 141.65 करोड रूपये की व्यवस्था राज्य सरकार को करनी है.
बता देें कि, राज्य के महत्वपूर्ण व बडे बांध प्रकल्प अब 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हो चुके है. जिसकी वजह से उनकी क्षमता बेहद कम हो गई है. ऐसे में नये प्रकल्पों की निर्मिती बेहद जरूरी हो चली है. वहीं दूसरी ओर पानी की मांग दिनोंदिन बढ रही है तथा उपलब्ध जलसंग्रह लगातार कम हो रहा है. ऐसी स्थिति में बांधों की कम होती क्षमता और घटता जलसंग्रहण काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है. जिसकी वजह से आगे चलकर काफी भीषण जलकिल्लत की समस्या का सामना करना पड सकता है. इस बात के मद्देनजर सरकार ने समय रहते पुराने प्रकल्पों की क्षमता को बढाने की ओर ध्यान देना शुरू किया है. ज्ञात रहें कि, बांधों की पानी पट्टी से मिलनेवाली निधी में से केवल 10 प्रतिशत रकम ही बांधों की देखभाल व दुरूस्ती के लिए दी जाती है, जो काफी कम रहती है. ऐसे में विश्व बैंक के जरिये बेहद कम ब्याज दर पर आवश्यक निधी कर्ज के तौर पर उपलब्ध कराई गई है.
* किस बांध के लिए कितनी निधी का प्रावधान
बांध रकम (करोड रू.)
जायकवाडी 88.57
भंडारदार 73.79
डिम्भे 72.92
मांजरा 50.61
कोयना 22.70
कन्हेर 10.91
अप्पर वर्धा 10.49
वान 10.06
* वर्ष 2030 की डेडलाईन
पुराने प्रमुख बांधों की देखभाल व दुरूस्ती संबंधी कार्य करते हुए उन्हें पुर्नस्थापित करने के लिए मार्च 2030 तक का समय तय किया गया है. इस प्रकल्प के तहत विश्व बैंक सहित केंद्र व राज्य सरकार द्वारा निधी उपलब्ध कराते हुए कामों को पूर्ण कराया जायेगा.
* यह फायदे होंगे
– बांधों की देखभाल व दुरूस्ती में सातत्य रहने से कई फायदे बढेंगे. जिसके तहत पर्यटन में वृध्दि होगी और इससे होनेवाली आय के जरिये राजस्व भी बढेगा.
– ड्रीप योजना में शामिल सभी 12 बांधों की सुरक्षितता व परिचालन में सुधार होगा.
– बांधों की कार्यक्षमता बढेगी और जलसंग्रह का सुयोग्य प्रयोग करने से संबंधित प्रमुख उद्देश्य भी साध्य होगा.
– बांधों से संबंधित संस्थाओें व संगठनों एवं घटकों का मजबूतीकरण होगा.
* आय के साथ ही पर्यटन क्षेत्र में वृध्दि
बांधों की सुरक्षितता, पुर्नस्थापना व क्षमता वृध्दि से संबंधित काम होने के बाद बांधों में पूरी क्षमता के साथ पानी का संग्रहण हो सकेगा. जिसके परिणाम स्वरूप सर्वसामान्यों के लिए अधिक पानी उपलब्ध होने के साथ ही पानीपट्टी के तौर पर होनेवाली आय में भी इजाफा होगा. इसके अलावा बांधों के जरिये पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा. जिससे होनेवाली आय के तौर पर सिंचाई विभाग को मिलनेवाला राजस्व बढेगा. इस साथ ही सरकारी निधी को इन प्रकल्पों के साथ-साथ नये प्रकल्पों के लिए भी उपयोग में लाया जा सकेगा.
– महेंद्र आमले
अधीक्षक अभियंता,
समन्वय प्रकल्प संचालक व बांध सुरक्षा संगठन