महाराष्ट्र

पार्सल सेवा से घर भरने वाले 12 रेल अधिकारियों का भंडाफोड

निजी कंपनियों को पार्सल लोड करने देते थे ज्यादा समय

* वजन कम दिखाने के लिए वसूलते थे पैसा
* सीबीआई ने एलटीडी पर मारा छापा
मुंबई/दि.13– रेल्वे द्वारा चलाई जाने वाली पार्सल सेवा की आड लेकर अपना घर भरने वाले करीब एक दर्जन रिश्वतखोर रेल्वे अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेशन विभाग यानि सीबीआई ने अपराध दर्ज किया है. सीबीआई ने लोकमान्य टिलक टर्मिनस (एलटीडी) पर लगातार 2 दिनों तक छापे की कार्रवाई करते हुए पार्सल और वजन विभाग में चल रहे घोटाले को उजागर किया है.
सीबीआई के पथक ने बीते सोमवार और मंगलवार को एलटीडी पर अचानक छापे की कार्रवाई की और उस समय पाया गया कि, कुछ अधिकारियों द्वारा निजी कंपनियों को अपना माल लोड करने के लिए ज्यादा समय देने हेतु और पार्सल का वजन कम दिखाने हेतु रिश्वतखोरी की जा रही है.

* लोडर के जी-पे से ली ऑनलाइन रिश्वत
निजी कंपनियों को माल लोड करने हेतु अतिरिक्त समय देने के लिए इन रेल्वे अधिकारियों ने कुछ मामलों में नगद रिश्वत स्वीकारी. वहीं कुछ मामलों में लोडर के मोबाइल से जी-पे के जरिए ऑनलाइन रिश्वत भी स्वीकार की.

* किस पर हुई कार्रवाई?
निजी कंपनियों को अतिरिक्त समय देने हेतु घुसखोरी करने के मामले में यार्ड के मुख्याधिकारी प्रणय मुकूंद, यार्ड विभाग के तीन उप स्टेशन मास्टर गिरधारीलाल सैनी, प्रदीप गौतम व जयंत मौर्य, दो शटींग मैनेजर मिताईलाल यादव व राकेश करांडे तथा प्वॉईंट मैन निखिलेश कुमार व रोनीत राज इन 8 लोगों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किया गया है.

* प्रत्येक एंट्री के लिए लेते थे 500 रुपए
पार्सल विभाग के मुख्य अधीक्षक जे. वी. देशपांडे ने विगत एक साल में इस जरिए 8 लाख रुपए कमाए. वहीं दूसरे अधीक्षक द्वारा 5 लाख 18 हजार रुपयों की घुसखोरी की गई. इन दोनों अधिकारियों द्वारा पार्सल की प्रत्येक एंट्री के लिए 500 रुपए लिए जाते थे. ऐसी जानकारी सामने आयी है.

* क्या है घोटाला?
– देश के विभिन्न शहरों में जाने वाली मेल व एक्सप्रेस रेलगाडियों के पार्सल यार्ड में बडे पैमाने पर सामान भरकर भेजा जाता है.
– निजी कंपनियों के लोडर रेल्वे अधिकारियों की देखरेख में इस सामान को रेल्वे के पार्सल यान में चढाते है.
– यह काम तीन घंटे में पूरा करना होता है और इससे अधिक समय लगने पर अतिरिक्त समय के अनुसार अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है.
– निजी कंपनियों द्वारा पार्सल चढाने हेतु अधिक समय लिए जाने के बावजूद भी उनसे दंड वसूली नहीं हुई. जिसके लिए रेल्वे के अधिकारियों ने संबंधित कंपनियों से रिश्वत के तौर पर अच्छी खासी रकम स्वीकार की, ऐसी जानकारी जांच में सामने आयी.

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