शिक्षा शुल्क के अटके 1,578 करोड
मुंबई/दि.1– सामाजिक न्याय विभाग के माध्यम से अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति व शिक्षा शुल्क के 1,578 करोड रुप केंद्र सरकार की ओर से विद्यार्थी व शिक्षा संस्थाओं को नहीं मिल पाए. केंद्र की नीति, उन्हें न्यायालय में मिली चुनौती के कारण यह निधि अटकी है.
इन विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति, शिक्षा शुल्क में से 40 फीसर रकम राज्य सरकार की तरफ से तथा 60 फीसद रकम केंद्र सरकार की तरफ से दी जाती है. राज्य सरकार 40 प्रतिशत रकम शिक्षा संस्था के बैंक खाते में व शिक्षण शुल्क और विद्यार्थियों के बैंक खाते में छात्रवृत्ति की रकम जमा करती है. 3 वर्ष पूर्व केंद्र सरकार ने ऐसा निर्णय लिया कि शिक्षा शुल्क व छात्रवृत्ति दोनों की रकम विद्यार्थियों के बैंक खाते में जमा करना. इसके पूर्व यह निधि राज्य सरकार को दी जाती थी और राज्य सरकार संस्था व विद्यार्थियों के खाते में रकम जमा करती थी.
* फिर खंडपीठ में गुहार
शिक्षा संस्थाओं ने दायर की याचिका पर छत्रपति संभाजीनगर खंडपीठ ने केंद्र के निर्णय को स्थगिति दी और अंतिम फैसला आने तक केंद्र को 60 फीसद न्यायालय में जमा करने के आदेश दिए. इस पर केंद्र ने फिर खंडपीठ में गुहार लगाई है.
* 2 वर्ष में 900 करोड वितरित
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति का राज्य का हिस्सा नियमित दिया जाता है. 2 साल में 900 करोड रुपए वितरित किए गए. केंद्र से संबंधित विषय यह राज्य के अधिन नहीं आता.
– सुमंत भांगे,
सचिव सामाजिक न्याय विभाग
* केंद्रीय छात्रवृत्ति की अटकी निधि
वर्ष निधि विद्यार्थी संख्या
2021-22 821.18 करोड 4.07 लाख
2022-23 757.47 करोड 3.55 लाख
कुल 1578.55 करोड 7.62 लाख