महाराष्ट्र

16 मेडिकल कॉलेजों में डीन पद रिक्त

स्वास्थ्य विभाग की अनेक योजनाओं में बाधा

नागपुर /दि. 30– समाज का स्वास्थ्य तंदुरुस्त रखने का 80 प्रश. हिस्सा निजी डॉक्टर निभा रहे है. सिर्फ 20. प्रश. सेवा सरकारी वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल कॉलेज) में उपलब्ध है. यह 20 प्रश. स्वास्थ्य यंत्रणा को मजबूत बनाने की जरुरत रहते हुए दूसरी ओर सरकार आयुष्यमान भारत, आयुष्यमान भव:, म. फुले जनस्वास्थ्य योजना, आपला दवाखाना आदि योजनाओं की बारिश कर रही है.
वास्तव देखा जाए तो राज्य के 25 में से 16 मेडिकल कॉलेजो में से नियमित स्थाई अधिष्ठाता मौजूद नहीं है. इस वजह से योजनाओं पर अमल में बाधा आ रही है. खुद सरकार ही राष्ट्रीय वैद्यक आयोग (नेशनल मेडिकल कमिशन) के मापदंड का पालन नहीं कर रही है.
विदर्भ के मेडिकल, मेयो सहित राज्य में 25 मेडिकल कॉलेज है. जिसमें से मात्र 9 शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पतालों में स्थाई अधिष्ठाता कार्यरत है. शेष 16 कॉलेजो में अस्थाई तौर पर अतिरिक्त कार्यभार सौंपकर काम चलाया जा रहा है. नेशनल मेडिकल कमिशन के नियमों के अनुसार स्थाई अधिष्ठाता आवश्यक है.

* इन कॉलेजो में अतिरिक्त पदभार
अस्थाई अधिष्ठाता अतिरिक्त कार्यभार स्थाई अधिष्ठाता स्थाई कार्यभार
बारामती डॉ. सी. मस्के पुणे डॉ. काले
छ. संभाजीनगर डॉ. सुक्रे मुंबई डॉ. पल्लवी साफले
अंबेजोगाई डॉ. धोपटे अलीबाग डॉ. पूर्वी पाटिल
सातारा डॉ. रविंद्र चव्हाण नंदूरबार डॉ. अरुण हुमणे
नांदेड डॉ. देशमुख धाराशिव डॉ. डोमूकडकर
धुलिया डॉ. भामरे परभणी डॉ. राठोड
सोलापुर डॉ. भिसे मीरज डॉ. नणंदकर
कोल्हापुर डॉ. मोरे
जलगांव डॉ. गिरीश ठाकुर
रत्नागिरी डॉ. रामानंद
सिंधुदुर्ग डॉ. मनोज जोशी
लातूर डॉ. उदय मोहिते

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