सोलापुर/ दि.16 – कोरोना के संकट में भी हार न मानते हुए राज्य की अर्थव्यवस्था को मदद करने वाला किसान पिछले कुछ वर्षों से समर्थन मुल्य की प्रतीक्षा में है. वहीं पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि, महाबाढ की नैसर्गिक आपदा से बाहर आते समय ही अब खेती फसलों के भाव काफी गिर चुके है. इसी कारण ‘जीना या मरना’ इस व्दिधा मनस्थिति में किसान खडा है. जनवरी से अगस्त 2021 में 1 हजार 605 किसानों ने आत्महत्या की हैं. इस तरह की नोंद राज्य के मदद विभाग के पास हुई है.
पिछले मौसम में गन्ने की पूरी एमआरपी आज भी नहीं मिली है. दुध ेके भाव गिरे हुए है तथा खेतीमाल काफी कम भाव से बेचना पड रहा है. 2019 में 2 हजार 808 तथा 2020 में 2 हजार 527 किसानों ने आत्महत्या की हैैं. इस बार यवमाल 188, अमरावती 172, बुलढाणा 180, बीड 116, औरंगाबाद 109, वर्धा 102, जलगांव 92 के साथ ही नांदेड, उस्मानाबाद, चंद्रपुर, परभणी, जालना आदि जिले में सर्वाधिक आत्महत्या हुई हैं. इस वर्ष आत्महत्या कर चुके 1 हजार 605 किसान परिवार में से 712 परिवार को ही सरकार की ओर से मदद मिली है.
संभाग निहाय आत्महत्या
अमरावती 662
औरंगाबाद 532
नाशिक 201
नागपुर 199
पुणे 11
कोंकण 00