लतागार बारिश से संतरे के अंबिया बहार को 20 प्रतिशत नुकसान
किसानों को 140 करोड रुपए की क्षति पहुंचने की संभावना
* संतरा उत्पादक किसानों की आशाओं पर फिरा पानी
अमरावती/दि.8– जिले के संतरे की संपूर्ण देश सहित विश्व में मांग है. लेकिन पिछले कुछ सालों से निसर्ग के प्रकोप के कारण संतरा उत्पादक किसान संकट में आ गए है. इस वर्ष अंबिया बहार का अच्छा उत्पादन होकर भाव भी अच्छे मिलने की आशा किसानों को थी. लेकिन पिछले एक माह से जारी लगातार बारिश के कारण संतरा बगीचो से फल गिरना शुरु हो गए है. इस कारण संतरा उत्पादक परेशान हो गए है. इस वर्ष बारिश के कारण अंबिया बहार का अब तक 20 प्रतिशत नुकसान हुआ है. इससे 140 करोड रुपए की क्षति किसानों को पहुंचने की संभावना विशेषज्ञो द्वारा व्यक्त की गई है.
जिले में कुल 78 हजार हेक्टेअर संतरा बगीचो का क्षेत्र है. इसमें से इस वर्ष 30 से 35 हजार हेक्टेअर क्षेत्र में अंबिया बहार है. लगातार बारिश के कारण वरुड, मोर्शी, चांदुर बाजार, अचलपुर, अंजनगांव सुर्जी तहसील के संतरा उत्पादक पट्टे सहित जिले के संतरा बगीचो को काफी नुकसान पहुंचा है. पेडों पर लगे फल परिपक्व होने के पूर्व जमीन पर गिरने लगे है. इस कारण उत्पादन की आशा धूमिल रही है. बगीचे की हिफाजत के लिए किया गया खर्च भी हाथ लगेगा अथवा नहीं ऐसी वर्तमान स्थिति है. अंबिया का जिले में इस वर्ष 3 से साढे 3 लाख टन उत्पादन का अनुमान विशेषज्ञो ने दर्शाया है. इसमें से अब तक करीबन 60 से 70 हजार टन संतरा भारी वर्षा के कारण गिर गया है. संतरा उत्पादक किसानों को करोडो रुपए का नुकसान होने का अनुमान क्षेत्र के विशेषज्ञो का है. पिछले वर्ष बेमौसम बारिश के कारण अंबिया बहार ने उत्पादकों को नुकसान पहुंचाया था.
* विशेषज्ञो के साथ चर्चा कर मार्गदर्शन
किसानों द्वारा खेतो का पानी निकासी कर बाहर निकालना चाहिए और फवारणी का नियोजन करना चाहिए. तहसील कृषि विभाग के जरिए कृषि विशेषज्ञो के साथ चर्चा कर किसानों का मार्गदर्शन किया जाएगा.
– अतुल आगरकर, तहसील कृषि अधिकारी, वरुड.
* इन कारणो से गिरते है फल
– नैसर्गिक वातावरण.
– अन्नद्रव्य की कमी.
– सूर्यप्रकाश की कमी.
– फफुंदी का प्रादुर्भाव.
* ऐसी करें उपाययोजना
– बगीचे का जहां उतार है उस दिशा में खेत का पानी बाहर निकाले.
– गिरे हुए फल उठाकर नष्ट करें.
– संतरे के पेडो की क्यारी स्वच्छ रखें.
– क्यारा तोड डाले.
* बढे आयात शुल्क के कारण निर्यात में कमी
जिले का संतरा भारी मात्रा में बांग्लादेश में निर्यात किया जाता है. लेकिन वहां की सरकार द्वारा संतरे के आयात शुल्क में इस वर्ष 114.77 प्रतिशत बढोतरी की गई है. इस कारण निर्यात में भी कमी आई है. परिणामस्वरुप बाजार भाव न रहने से उत्पादको का आर्थिक नुकसान हो रहा है.
* व्यवस्थापन खर्च नहीं निकलता
एक तरफ बांग्लादेश ने आयात शुल्क बढाया है. दूसरी तरफ संतरे को बाजार मूल्य नहीं मिल रहा है. ऐसे में अब फलों का गिरना शुरु है इस कारण व्यवस्थापन खर्च निकला कठीन हो गया है. शासन द्वारा संतरा उत्पादक किसानों को सहायता करना आवश्यक है, ऐसा संतरा उत्पादक किसानों का कहना है.
* करोडा नुकसान
अधिक आद्रता, कम तापमान, अधूरा सूर्यप्रकाश और लगातार बारिश आदि कारणों से अब तक 20 प्रतिशत संतरे पेडो से टूटकर नीचे गिर गए है. इसका परिणाम उत्पादकता पर हो रहा है. इस कारण पिछले कुछ सालो से किसानों का हर वर्ष करोडो रुपए का नुकसान हो रहा है.
– रमेश जिचकार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्रमजीवी नागपुरी संतरा उत्पादक कंपनी, वरुड.