मुंबई/दि.५ – बीते वर्ष नागरिकों ने मौसम के अनुभव का एहसास लिया है. प्राकृतिक आपदाओं से अनेकों की जान गई. बाढ, बारिश, बिजली और शित लहर से 1500 से अधिक लोगों की मृत्यु होने की बात सामने आयी है. भारतीय मौसम विभाग ने सोमवार को वर्ष 2020 में मौसम के हावभाव का समीक्षण जारी किया. जिसमें सरकारी और मीडिया की आंकडे वारी का आधार लेकर कुल मृतकों का आंकडा घोषित किया गया. मौसम विभाग ने बताया कि वर्ष 2020 यह सबसे ज्यादा आठवां गरम वर्ष था. बीते वर्ष भूपृष्ठ का हवा का तापमान 0.29 अंश से अधिक था. वर्ष 1901 से उपलब्ध पंजीयन नुसार यह जानकारी दी गई है, लेकिन यह साल वर्ष 2016 से कम गरम था. वर्ष 2016 में तापमान 0.71 अंश सेल्सियस से अधिक था. मानसून पूर्व और मानसून के बाद औसतन तापमान में इजाफा हुआ है. सर्दी के दिनों में औसतन से अधिक तापमान 0.14 अंश से अधिक दर्ज किया गया. अब तक के पंजीयन अनुसार सबसे ज्यादा गरम 15 वर्षों का विचार करें तो लगभग 12 वर्ष यानी 2006 से 2020 की अवधि में नागरिकों ने गरमाहट महसूस की है. 2001 से 2010 और 2011 से 2020 में सबसे ज्यादा गरमाहट दर्ज की गई है. प्रति 100 वर्षों में 0.99 अंश से औसत और 0.24 अंश से न्युनतम तापमान में इजाफा हुआ है. वर्ष 2020 में देशवासियों को 5 चक्रवात का भी सामना करना पडा है. अफन, निवार और बुरेवी बंगाल की उपखाडी में निर्माण हुई. अफन से पश्चिम बंगाल में 90 लोगों की जान गई, जबकि 4 हजार मवेशियों की मृत्यु हुई. वहीं प्राकृतिक आपदा से महाराष्ट्र में चार नागरिक और लगभग 2 हजार प्राणियों की मृत्यु हुई. निवार में 12 नाागरिक और 10 हजार से अधिक प्राणी, बुरेवी से 9 लोगों और 200 प्राणियों की मृत्यु होगी. गाज गिरना, शितलहर से बीते वर्ष बिहार, उत्तरप्रदेश में लगभग 350 नागरिकों की मृत्यु हुई. मुसलाधार बारिश और बाढ से 600 लोगों की देशभर में मृत्यु हुई. गाज गिरने से देश में 815 लोगों की मौत हुई. वहीं जनवरी में शितलहर से 150 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई. इन घटनाओं की पृष्ठभूमि पर मोैसम के बदलाव पर नियंत्रण पाने के लिए प्रत्यक नागरिक ने प्रयास करना चाहिए.