11 महीनों में 2270 किसानों ने की आत्महत्या, आरटीआई में खुलासा
नागपुर-अमरावती विभाग में सर्वाधिक खुदकुशी
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औरंगाबाद विभाग में 693 किसानों ने दी जान
मुंबई/दि.8 – औरंगाबाद विभाग के 693 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से 392 को मुआवजे का पात्र जबकि 206 को अपात्र घोषित कर दिया गया है. 95 दावों पर अभी जांच जारी है. कोंकण विभाग में 2020 के पहले 11 महीनों में किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की है. घाडगे ने कहा कि, एक ओर कर्जमाफी किसान आत्महत्या रोक पाने में नाकाम साबित हो रहे है, उपर से केंद्र सरकार के नए कृषि कानून ने आग में घी का काम किया है. क्योंकि इसमें एमएसपी को कानूनी दर्जा नहीं दिया गया है. किसानों के लिए बैंक्रप्सी कानून बनाया जाना चाहिए. जिससे कर्ज के जाल में फंसे किसान आत्महत्या का रास्ता न अपनाएं. द यंग व्हिसलब्लोअर फाउंडेशन के सदस्य अभिजीत मालुसरे ने कहा कि, बडी संख्या में किसानों को सानुग्रह राशि देने से इनकार किया जा रहा है. इस मुद्दे पर हम जल्द ही कार्रवाई का दरवाजा खटखटाएंगे.
इस साल भी विदर्भ के अमरावती और नागपुर विभागों में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. अमरावती विभाग में किसान आत्महत्या के 990 मामले सामने आये हैं. इनमें से 348 परिवारों को मुआवजे का पात्र जबकि 411 को अपात्र घोषित कर दिया गया है. 231 दावों की जांच अभी लंबित है. आत्महत्या करने वाले किसानों में से 283 के परिवारों को सानुग्रह राशि दे दी गई है. वहीं नागपुर विभाग में किसानों की आत्महत्या के 240 मामले सामने आए हैं. जिनमें से 42 को पात्र और 75 को अपात्र घोषित कर दिया गया है. 123 मामले की जांच की जा रही है. 42 परिवारों को आर्थिक मदद दी जा चुकी है. यवतमाल जिले में सबसे ज्यादा 295 किसानों ने आत्महत्या की है. जबकि अमरावती में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 248 है.
आरटीआई से मिले आंकडों से साफ है कि, आत्महत्या करने वाले जिन किसानों के परिवारों को सरकार ने सानुग्रह राशि नहीं दी उनमें से ज्यादातर विदर्भ के है. आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाडगे को जो जानकारी उपलब्ध कराई गई है उसके मुताबिक 1 जनवरी से 30 नवंबर 2020 तक राज्य में कुल 2270 किसानों ने आत्महत्या की है.