महाराष्ट्र

पिछले 6 महीने में 23 बाघों की हुई मौत

महाराष्ट्र में सामने आया डराने वाला आंकड़ा

मुंबई/दि.28-महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) में बाघों की मौत पर उठे सवाल पर सीएम उद्धव ठाकरे ने लिखित जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में बीते 6 महीने के दौरान 23 बाघों के मौत का मामला सामने आया है, जिसमें, जनवरी 2021 से लेकर जुलाई 2021 के दौरान राज्य में 23 बाघों की मौत हुई है. 23 बाघों में से प्राकृतिक कारणों से 15, रेलवे हादसों से 1, जहर के उपयोग से 4, करंट लगने से 1, शिकार करने से 2 बाघों की मौत हुई है. इस तरह कुल 23 बाघों की मौत हुई है. इन 23 बाघों में 15 वयस्क बाघ थे जबकि 8 उनके शावक थे. वहीं, जनवरी से सितंबर तक बाघों ने 39 लोगों की जान ली.

दरअसल, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह लिखित जवाब बाघों के इंसानों के मौत के सवाल पर दिया है. एक जनवरी से 30 सितंबर के बीच मानव और जानवरों के बीच हुए संघर्ष में राज्य में 65 इंसानों की मौत हुई है. इन 65 मौत में से 39 मौत सिर्फ बाघों के हमले में हुई है. वहीं, पिछले साल 1 जनवरी 2020 से 30 सितंबर 2020 के बीच 61 लोगों की मौत हुई थी जिसमें बाघों से 31 लोगों की मौत हुई थी.

प्रदेश सरकार ने मृतकों को दिया 15 लाख का मुआवजा

बता दें कि राज्य सरकार ने लिखित जवाब में बताया कि, जंगली जानवरों के हमले में मारे गए पीड़ितों के परिजनों को 15 लाख की मदद दी जाती है. वहीं, जहर का इस्तेमाल कर बाघों की हत्या करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. हालांकि अभी तक शिकार करने वाल आरोपियों की तलाश जारी है.

देश का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व हैं महाराष्ट्र में

गौरतलब है कि बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है. इसके बावजूद भारत में साल 2010 में बाघ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे. ऐसे में भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व नागार्जुन सागर श्रीशैलम है, जबकि देश का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व महाराष्ट्र में है. फिलहाल 29 जुलाई को पूरी दुनिया ‘इंटरनेशनल टाइगर डे’ मनाती है.

महाराष्ट्र को मिली बड़ी सफलता

वहीं, प्रदेश में बोर, मेलघाट, पेंच, नवेगांव-नागझिरा और सह्याद्रि, ताडोबा-अंधारी जैसी 6 बाघ परियोजनाएं हैं. इन छह परियोजना क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के सहयोग से बाघों के संरक्षण और संवर्धन के काम को वन विभाग प्रमुखता से कर रहा है. बाघ परियोजनाओं के बफर जोन के ग्रामीणों की वन पर निर्भरता कम हो और मानव और वन्य जीव संघर्ष में कमी लाने के उद्देश्य से डॉ़ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन विकास योजना लागू की गई है. वहीं, साल 2006 में महाराष्ट्र में 103 बाघ थे. सन 2010 में 168, सन 2014 में 190 बाघ थे.

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