अदालती निर्णय से 25 हजार शिक्षकों की नौकरियां खतरे में
टीईटी उत्तीर्ण व अनुत्तीर्ण शिक्षक आमने-सामने
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सरकार ने अपनायी ‘वेट एन्ड वॉच’ की भुमिका
औरंगाबाद/दि.29 – मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ ने शिक्षक होने हेतु आवश्यक रहनेवाली न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता (टीईटी) परीक्षा उत्तीर्ण नहीं रहनेवाले शिक्षकों से संबंधित 89 याचिकाओं पर सुनाये गये फैसले के चलते राज्य के 25 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में आ गई है. जिसमें से करीब 200 शिक्षकों द्वारा न्याय की गुहार लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है. इसके साथ ही अपात्र शिक्षकों को समयावृध्दि देने की बजाय उन्हें बर्खास्त करते हुए पात्र बेरोजगार युवाओं को नौकरी दी जाये, ऐसी मांग करते हुए डीटीएड, बीएड स्टुडंट एसो. द्वारा अपात्र शिक्षकों के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है. ऐसे में सरकार ने चार सप्ताह तक ‘वेट एन्ड वॉच’ की भुमिका अपनाने का निर्णय लिया है.
बता दें कि, नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2001 की धारा 23 (1) के अनुसार टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण उम्मीदवार ही शिक्षक पद पर नियुक्त होने के लिए पात्र होता है. जिस पर अमल करने हेतु राज्य सरकार ने 12 फरवरी 2013 को शिक्षक पद हेतु टीईटी परीक्षा को अनिवार्य कर दिया. इसके पश्चात केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा अधिकार अधिनियम 2017 में संशोधन करने पर राज्य सरकार ने नौकरी पर रहनेवाले शिक्षकों को टीईटी उत्तीर्ण होने के लिए 31 मार्च 2019 की डेटलाईन दी थी. इस तारीख तक जो शिक्षक टीईटी उत्तीर्ण करते है, केवल उन्हें ही सेवा में रहने का अवसर दिया जाना था. किंतु इस अवधि के दौरान अनुदानित, बिना अनुदानित व कायम बिना अनुदानित शालाओं में नियुक्त 25 हजार से अधिक शिक्षक टीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं हो पाये. ऐसे में औरंगाबाद खंडपीठ में टीईटी की परीक्षा को लेकर चुनौती देते हुए 89 याचिकाएं दाखिल की गई थी. जिन पर 23 अप्रैल 2021 को सुनवाई पूर्ण होने के बाद अदालत ने अपने फैसले को सुरक्षित रखा था और 11 जून को अपना फैसला घोषित करते हुए सभी टीईटी विरोधी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया. जिसकी वजह से टीईटी उत्तीर्ण नहीं रहनेवाले 25 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरियां अब खतरे में आ गई है.
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चार सप्ताह के बाद सरकार लेगी निर्णय
उच्च न्यायालय द्वारा टीईटी के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करने के साथ ही अपने इस फैसले को चार सप्ताह का अंतरिम स्थगनादेश भी दिया गया है. ऐसे में राज्य सरकार द्वारा चार सप्ताह की अवधि खत्म होने के बाद इस बारे में कोई अंतिम निर्णय लिया जायेगा. वहीं इस दौरान टीईटी उत्तीर्ण नहीं रहनेवाले शिक्षकों ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी पर काम करना शुरू कर दिया है और करीब 200 टीईटी अनुत्तीर्ण शिक्षकों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जा रही है.
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अपात्र शिक्षकों को समयावृध्दि देने पर था आक्षेप
वर्ष 2016 तक टीईटी उत्तीर्ण नहीं रहनेवाले शिक्षकों को भी विविध शिक्षा संस्थाओं में नियुक्त किया जाता था. इन शिक्षकों को टीईटी उत्तीर्ण होने के लिए सरकार द्वारा कई बार अवसर प्रदान किये गये. लेकिन इसके बावजूद अनुदानित, बिना अनुदानित तथा कायम बिना अनुदानित शालाओं में नियुक्त 25 हजार से अधिक शिक्षक टीईटी उत्तीर्ण नहीं हो पाये. जिसे लेकर डीटीएड, बीएड स्टुडंट एसो. द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ में याचिका दाखिल करते हुए टीईटी अनुत्तीर्ण शिक्षकोें को राज्य सरकार की ओर से समयावृध्दि दिये जाने पर आक्षेप लिया गया. एसो. के मुताबिक खुद केंद्र सरकार द्वारा टीईटी के संदर्भ में कानून बनाया गया है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी इसे लेेकर काफी पहले आदेश जारी किये गये है. इसके बावजूद जो लोग शिक्षक बनने हेतु पात्र नहीं थे, उन्हेें नौकरी पर कैसे रखा गया, अब इसे लेकर पूछताछ और कार्रवाई करना जरूरी है. साथ ही अपात्र शिक्षकों को मान्यता देनेवाले शिक्षाधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया जाना चाहिए.