मुंबई/ दि.21– कोरोना महामारी पार्श्वभूमि पर लगाए गए लॉकडाउन के चलते तथा वेतन कटौती, औषधोपचार, स्वच्छता के खर्च बढने पर राज्य के 36 फीसदी परिवारों पर कर्जबाजारी होने का समय आन पडा हैं. यह मामला राज्य सरकार व्दारा करवाए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सामने आया हैं.
राज्य सरकार ने राज्य के 16 हजार परिवारों का सर्वेक्षण करवाया था. जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया. लॉकडाउन काल में बंद हुई मजदूरी, कृषि माल का उठाव नहीं, अनेक कर्मचारियों के वेतन में कटौती, ठप पडे उद्योग की वजह से अनेक लोगों पर आर्थिक संकट छा गया था. जिसमें नियमित खर्चो की वजह से 36 फीसदी परिवार कर्ज के बोझ तले पाए गए. सर्वेक्षण में ग्रामीण क्षेत्र के 6 हजार 200 तथा शहरी विभाग के 9 हजार 800 परिवारों समावेश रहा.
सर्वे का निष्कर्ष ग्रामीण व शहरी क्षेत्र निहाय (प्रतिशत में)
समस्या ग्रामीण शहरी
वेतन बंद 47.1 19.8
अशत: वेतन बंद 29.8 39.1
अस्थायी स्वरुप में व्यवसाय बंद 64 62
कृषि माल की कम किमत में बिक्री 68.6 ..
इन कारणों से बढा खर्च
* कृषि के लिए आवश्यक संसाधनों के दामों में वृद्धि के चलते खर्च बढा.
* स्वच्छता के लिए सैनिटाइजर, साबुन, हैंडवॉश आवश्यक साधनों की खरीदी करने पर व उपचार करवाने में खर्च में हुई बढोत्तरी.
कर्ज का स्त्रोत
* शासन की विविध योजनाओं व सहायता कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के 97.1 व शहरी क्षेत्र के 85.2 फीसदी परिवारों ने कर्ज लिया.
* ग्रामीण क्षेत्रों के 22.4 व शहरी क्षेत्र के 28.9 परिवारों ने सामाजिक, धर्मदाय संस्था, व्यक्तिगत स्तर पर लिया कर्ज.
* दोस्तो व रिश्तेदारों से ग्रामीण क्षेत्र के 11.9 व शहरी क्षेत्र के छह फीसदी नागरिकों ने कर्ज लिया.